यहाँ का स्थलवृक्ष नीम है। दूसरी जातक कथा के अनुसार आम के पेड़ों की बहुलता से प्रसिद्ध माम्बलम (टी. नगर) की यह देवी त्रिनेत्र शक्तिधारिणी हैं। देवी तीनों आंखों से तीनों कालों का निरीक्षण और नियंत्रण करती हैं। इसलिए देवी मुप्पत्तम्मन को मुप्पार्तम्मन भी कहा जाता था। कालांतर में यह नाम मुप्पत्तम्मन हो गया। देवी की महिमा की गाथा धीरे-धीरे चारों ओर फैलने लगी और भक्तों का सैलाब उमडऩे लगा।
मंदिर की संरचना
मंदिर के सामने अनेक शिल्पों से अलंकृत गोपुर दिखाई देता है। तमिल में एक कथन है। देवी मां का मुख उत्तरोन्मुखी है। गर्भ गृह के चारों ओर अन्य उपदेवी-देवताओं के लिए अलग-अलग छोटे-छोटे मंदिर हैं। वे इस प्रकार हैं- बाईं ओर से गणेश, पत्नियों सहित कर्तिकेय, मणिकण्ठन, आंजनेय, नवग्रह आदि हैं। नवग्रह के बाद पुन: एक महागणपति मंदिर है। उसके समीप बड़ी-सी बाँबी है जिस के शिखर पर पाँच फण वाले नाग की बड़ी मूर्ति है। गोलाकार बाँबी के चारों ओर पत्थर से बनी कई नागमूर्तियाँ हैं। आगे चलने पर एक हाल जैसा स्थान है जहाँ विष्णुमाया, तिरुप्पति वेंकटाचलपति, नंदी सहित महादेव आदि कई अन्य मूर्तियाँ भी हैं। दीवारों पर देवी के विभिन्न रूपों के चित्र भी अंकित है।
देवी का स्वरूप
चार हाथों वाली माँ के दायें भाग के एक हाथ डमरू और दूसरे हाथ में त्रिशूल धारण किए हैं, बायें भाग में ऊपर के हाथ में पाशांकुश और निचले हाथ में कुंकुम भरा पात्र है। दायें पाँव के नीचे असुर को दबा रखा है। इस तरह नयन मनोहर रूप में माँ भक्तों पर कृपावृष्टि करती हुई दर्शन दे रही हैं। मंदिर में चित्तिरै (चैत्र) पूर्णिमा, कार्तिक दीपम, आडि महोत्सव और नवरात्र के वक्त भक्तों की सरिता बहने लगती है।