समारोह अध्यक्ष दीपचन्दजी (पप्पुसा) लुणिया, मुख्य अतिथि विधायक टी.जे.एस. गोविन्दराजन, गुम्मडीपूंडी विशिष्ठ अतिथि पन्नालालजी सिंघवी, एमएस जैन, रिखबचन्द बोहरा, विमलचन्द सांखला, गौतमचन्द पोकरणा, महावीरचंद पगारिया, धरमीचंद कोठारी, मंगलचंद तातेड़, निर्मल भूरट, गौतम रुणवाल, शरदकुमार मेहता, सुरेशचंद ओसवाल, महावीर कटारिया आदि मौजूद रहे।
धर्मसभा एवं स्वामिवात्सल्य का आयोजन कल्याण मण्डपम् रखा गया। कार्यक्रम की शुरुआत गुरुदेव के मंगलाचरण से हुई। संघ के मंत्री महावीरचंद सांखला ने कहा कि जैन भवन के उद्घाटन के साथ ही हमारे संघ का वर्षों पुराना सपना साकार हो गया है। छोटे से गांव में जैन भवन नहीं होने साधु-साध्वी भगवंतों को ठहराने की समस्या हमें महसूस होती रही। छोटे ग्राम से संघ द्वारा जमीन खरीदकर उसका निर्माण कार्य शुरु किया गया। दानताओं के सहयोग से यह कार्य हमारा संघ सम्पन्न कर सका। गुरुभगवंतों की नवनिर्मित भवन का भव्य उद्घाटन होना हमारे लिए सौभाग्य की बात है।
इस अवसर पर मुनि मोक्षानन्द विजय ने अपने प्रवचन में कहा कि दक्षिण भारत में गच्छाधिपति जैनाचार्य का आगमन – संघ-समाज के लिए नई प्रेरणा लेकर हुआ है। जैन जगत के समस्त सम्प्रदायों को एकता की दिशा में कार्य करना नितांत आवश्यक है।