उन्होंने कहा , मुझे जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी), जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) द्वारा स्थापित एक सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम द्वारा आईआईटी-मद्रास को उपहार में दी गई 50 लाख रुपये की लागत से बनी मोबाइल डायग्नोस्टिक सुविधा की समीक्षा करते हुए खुशी हो रही है। इससे सभी को फायदा होगा और इसे एक बड़ी तकनीकी टीम द्वारा संचालित किया जा रहा है।”
सैम्पल संग्रह, प्रोसेसिंग व एनालिसिस
मोबाइल डायग्नोस्टिक सुविधा, जिसे परख कहा जाता है, एक हाउस वैन है, जिसे कोविड-19 संक्रमण का पता लगाने के लिए नमूनों के परीक्षण के लिए तैनात किया जा सकता है। यह वैन सुदूर और ग्रामीण क्षेत्रों में जहां परीक्षण सुविधाएं उपलब्ध नहीं होती, उन स्थानों पर कोरोना के मामलों का पता लगाने के लिए विशेष रूप से उपयोगी होगी। यह वैन इन क्षेत्रों में जाकर नमूना संग्रह कर रियल टाइम तरीके से उसका विश्लेषण भी कर सकती है।
डेंगू, टीबी संक्रमण की भी जांच
कोरोना के अलावा मोबाइल डायग्नोस्टिक सुविधा अन्य उद्देश्यों की भी पूर्ति करेगा। डेंगू, टीबी सहित अन्य वायरल संक्रमण की निगरानी भी वैन में लगे बीएसएल-२ लैब से की जा सकती है। मौजूदा आधुनिक सुविधाओं के अलावा अन्य रोगों की जांच के लिहाज से पोर्टेबल उपकरण भी फिट किए जा सकते हैं।
प्रो. गुहन जयरामन, प्रमुख जैव प्रौद्योगिकी आइआइटी मद्रास
संस्थान के निदेशक प्रो. वी. कामकोटि ने कहा मंत्री द्वारा उद्घाटित वैक्सीन कैम्प से टीकाकरण का संदेश जनता तक पहुंचेगा और वे टीका लगवाने आगे आएंगे। बूस्टर डोज भी शुरू हो चुका है। यह जनता का फर्ज है कि वह टीका लगवाए और अपना जीवन सुरक्षित करे। आइआइटी मद्रास ऐसे शिविरों के प्रति पूरी तरह समर्पित और कटिबद्ध है।