परमार ने कहा कि करीब 72 लाख आबादी वाले हिमाचल प्रदेश में पांच मेडिकल कॉलेज हैं और दो दिन पहले ही बिलासपुर में एम्स की आधारशिला रखी गई है। विशेषज्ञता सेवाओं के लिए इस इंस्टीट्यूट पर विश्वास है। यहां के विशेषज्ञ रोग मुक्ति दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्तर भारत में कुछ ऐसे जिले हैं जहां हर दूसरा परिवार कैंसर पीडित है। हिमाचल प्रदेश में कैंसर उपचार की नई तकनीकी आई है लेकिन प्रशिक्षित तकनीशियन न होने से तकनीकी का लाभ नहीं मिल पा रहा।
इससे पूर्व इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रो जगतराम ने कहा कि देश में कैंसर के 38 लाख मरीज है। कैंसर के इलाज में इस इंस्टीट्यूट की अहम भूमिका है। इंस्टीट्यूट में क्षेत्रीय कैंसर उपचार केन्द्र है। उन्होंने कैंसर नियंत्रण में पंजाब के सहयोग की सराहना की। उन्होंने कहा कि पंजाब के मोहाली,संगरूर,मानसा के अलावा मुंबई में आबादी आधारित कैंसर पंजीयन किया जा रहा है। पंजाब से मुख्यमंत्री कैंसर राहत बोर्ड के जरिए मदद मिलती है।
पंजाब के संगरूर में इंस्टीट्यूट का कैंसर के इलाज के लिए 300 बैड का सेटेलाइट अस्पताल स्थापित है। इससे पूर्व विशेषज्ञ चिकित्सकों ने अपनी प्रस्तुतियों में कहा कि यह धारणा गलत है कि पंजाब में कैंसर का प्रसार देश में सर्वाधिक है। उन्होंने कहा कि तुलना की जाए तो देश के कुछ हिस्सों में पंजाब से अधिक कैंसर का प्रसार है। उन्होंने कहा कि आबादी आधारित कैंसर पंजीयन से कैंसर से लडने की रणनीति बनाई जायेगी। इस तरह के पंजीयन की वर्ष 2013 एवं 2014 की रिपोर्ट तो आ गई है। उन्होंने कहा कि शुरूआत में ही कैंसर का पता लगने पर इसे जड से समाप्त किया जा सकता है।