फॉर्मिंग के इस सेक्टर में मछलियों के साथ पौधे उगाए जाते हैं। यह हाइड्रोपोनिक्स फॉर्मिंग का ही एक वर्जन है। इसमें भी मिट्टी का उपयोग नहीं किया जाता है। वहीं एक्वापोनिक्स में भी मिट्टी का उपयोग नहीं किया जाता है। इसमें फिश टैंक का उपयोग किया जाता है और मछलियों के साथ पौधे उगाए जाते हैं। इसमें परंपरागत खेती की तुलना में केवल 10 प्रतिशत पानी का ही उपयोग किया जाता है, जबकि पौधों के बढऩे की रफ्तार दोगुनी होती है। इसका चलन सबसे अधिक इजरायल में है। यूरोप व अमरीका में भी यह फॉर्मिंग तेजी से जगह बना रही है।
एक्वापोनिक्स फॉर्मिंग में एंट्री करने से पूर्व आप ऐसे स्टार्टअप पर रिसर्च कर सकते हैं जो सक्सेसफुली यह कर रहे हैं। इनमें पहला नाम रेड ओटर का है। उत्तराखंड के नैनीताल का यह स्टार्टअप एक्वापोनिक्स फॉर्मिंग के साथ फ्रैश फूड की होम डिलीवरी भी कर रहा है। स्टार्टअप की सक्सेस का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह स्टार्टअप अगले दो वर्ष में इंडिया में 25 एक्वापोनिक्स फॉर्म लगाने की योजना पर कार्य कर रहा है। यही नहीं बंगलुरु का माधवी फार्म, चेन्नई स्थित फ्यूचर फॉर्म व क्रॉफ्टर भी सक्सेसफुली एक्वापोनिक्स फॉर्मिंग कर रहे है। आने वाले दिनों में यह लोकप्रिय हो सकता है।