क्यों चलती गाड़ी के टायर्स फट जाते हैं ?
हर टायर की अपनी लाइफ होती है, कुछ साल या तय किलोमीटर से अधिक चलने पर इनकी रबर खराब होने लगती है। अब ऐसे में जब टायर की लाइफ समाप्त हो जाती है तो उसके बाद भी लोग उस खराब टायर को बदलते नही हैं और लगातार उनका यूज़ करते हैं, जिसके चलते अधिक घर्षण की वजह से हीट बहुत ज्यादा बढ़ जाती है और टायर के फटने के चांस बहुत अधिक बढ़ जाते हैं। इसलिए अगर टायर बहुत ज्यादा घिस गया है और उसकी रबर बहुत हार्ड या उसमें दरार पड़ने लगी हो तो तुरंत बदल लें…
कुछ लोग टायर्स में जरूर से ज्यादा हवा डलवाते हैं या बहुत ही कम हवा रहने पर भी गाड़ी की सवारी करते हैं। ऐसे कम और ज्यादा हवा के चलते टायर्स पर दबाव पड़ता है और फटने के चांस बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं । ध्यान दीजिये सभी टायर्स में उतनी ही हवा डलवायें जितनी वाहन निर्माता ने निर्धारित कर रखी हैं।
एक बार जो सबसे अधिक देखने को मिलती है और वो ये है कि अपने वाहन में ओवरलोडिंग करने बचें, गाड़ी में उतना ही सामान रखना चाइये जितना वाहन की कैपसिटी है। क्योंकि ज्यादा लोड करने से गाड़ी की परफॉरमेंस और टायर्स पर बुरा असर पड़ता है। और यदि टायर्स थोड़े खराब हुए तो इनके फटने के चांस बढ़ जाते हैं।
हर 40,000 किलोमीटर चलने के बाद टायर को बदल देना चाहिए। लेकिन अगर टायर की कंडीशन बेहतर हो तो इन्हें थोड़ा और चलाया जा सकता है। वाहन नियमों के की मानें तो, टायर पर बने खांचे (ट्रेड) की गहराई 1.6 मिमी रह जाए तो टायर बदल दिया जाना चाहिए। टायर्स उम्र पांच साल होती है।
गाड़ी के टायर्स अगर घिसे हुए या फटे हुए हैं तो उन्हें तुरंत बदल लेना चाहिए क्योंकि अक्सर ऐसे टायर्स पंचर ज्यादा होते हैं और जल्दी गर्म होने की वजह से फट जाते हैं। इसलिए गर्मी में तो जरूर खराब टायर्स को तुरंत बदलवा लें वरना बाद में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।