इलेक्ट्रिक वाहन है मुख्य मुद्दा-
25 जुलाई को जीएसटी ( GST ) काउंसिल की 36वीं बैठक होनी है । इस बैठक में बाकी अन्य मुद्दों के साथ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर लगने वाली जीएसटी की दर मुख्य मुद्दा है। दरअसल सरकार देश में ई-व्हीकल्स मैनुफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए जीएसटी दर को 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी करने का फैसला ले सकती है। मौजूदा समय में, पेट्रोल व डीजल कारों और हाइब्रिड व्हीकल्स पर जीएसटी दर 28 फीसदी है।
पूरी दिल्ली के ट्रांसपोर्ट सिस्टम को चलाने वाली शीला दीक्षित करती थी केवल इस कार का इस्तेमाल
सरकार के फैसले से होगा इतना फायदा-
फिलहाल मार्केट में जो इलेक्ट्रिक कार आ रही है उनकी कीमत कम से कम 10 लाख रुपए तक होती है ऐसे में अगर सरकार 7 फीसदी जीएसटी घटाती है तो कैलकुलेशन के हिसाब से कस्टमर्स को 70000 रुपए का फायदा होगा । यानि भविष्य में इलेक्ट्रिक कार खरीदना डीजल और पेट्रोल कारों से ज्यादा फायदेमंद हो सकता है।
भविष्य है इलेक्ट्रिक कारें-
आने वाले वक्त में इलेक्ट्रिक कारें ( electric cars ) ट्रांसपोर्ट का मुख्य साधन बनने वाली हैं। ऐसे में ऑटोमोबाइल जगत की हर छोटी बड़ी कंपनी इलेक्ट्रिक वाहनों की दिशा में कदम बढ़ा रही है। हाल के दिनों में टाटा मोटर्स ने जहां Tiago का इलेक्ट्रिक वर्जन लॉन्च किया है वहीं hyundai भी Hyundai Kona के साथ इलेक्ट्रिक कार सेगमेंट में कदम रख चुकी है। आपको बता दें कि सिर्फ यही 2 कंपनियां नहीं बल्कि रेनॉ और मारुति भी अपनी सक्सेसफुल कार क्विड और वैगन आर का इलेक्ट्रिक वर्जन लाने की तैयारी कर रही हैं।
Hyundai के इस शोरूम में 40000 रुपए से कम में मिल रही है Santro, यहां पढ़ें पूरी खबर
आपको मालूम हो कि फ्यूचर ट्रेंड को समझते हुए कंपनियां न सिर्फ इलेक्ट्रिक कारों की मैनुफैक्चरिंग पर फोकस कर रही है बल्कि डीजल कारों का दौर खत्म होने की बात भी कही जा रही है। मारुति का 2020 से डीजल कारें न बनाने का फैसला इसकी बानगी भर है।
कीमत है सबसे बड़ा मुद्दा-
फ्यूचर में इलेक्ट्रिक कारों के बीच कंप्टीशन तगड़ा होगा और इंफ्रास्ट्रक्चर के बाद इन कारों की सफलता अगर तय करेगी तो इनकी कीमत होगी । सभी कंपनियां वैसे तो सस्ती इलेक्ट्रिक कार लाने की बात कर रही हैं। लेकिन सरकार के फैसले के बाद मिलने वाली रियायत भी इसमें अहम रोल अदा करेगी।