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देश उम्मीद कर रहा था कि ऑयल की दिग्गज वैश्विक कंपनियां बिक्री में भाग लेने के लिए निवेश कोष के साथ मिलकर सामने आएंगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। वहीं अनिल अग्रवाल को इस बात की उम्मीद है कि, भारत इसी वर्ष मार्च के महीने में बीपीसीएल के लिए बोलियां खोलेगा।
ये दो कंपनियां भी रेस में
बीपीसीएल की खरीदारी के लिए सिर्फ वेदांत समूह आगे नहीं है, इसके अलावा, निजी इक्विटी फर्म अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट और आई स्क्वेयर्ड कैपिटल ने भी तेल रिफाइनर में सरकार की हिस्सेदारी हासिल करने में रुचि दिखाई है।
इस बीच बीपीसीएल के निजीकरण की प्रक्रिया में देरी होने की आशंका जाहिर की जा रही है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि निजीकरण की प्रक्रिया अगले वित्त वर्ष में पूरी हो सकती है।