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खेती में नई टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से ही बढ़ेगी किसानों की आय: मल्लिका श्रीनिवासन

एक्सक्लुसिव इंटरव्यू. भारतीय कृषि की ग्रोथ स्टोरी पश्चिमी देशों का कट एंड पेस्ट मॉडल नहीं । नई तकनीक खासकर डेटा बेस्ड टेक्नोलॉजी काफी तेजी से भारत में आ रही हैं- मल्लिका श्रीनिवासन, ट्रैक्टर्स एंड फार्म इक्विपमेंट (टैफी) की चेयरमैन और एमडी

Oct 15, 2023 / 10:04 pm

Akash Kumar

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चेन्नई. देश के किसान खेती में नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करें। नई तकनीक खासकर डेटा बेस्ड टेक्नोलॉजी काफी तेजी से भारत में आ रही हैं। खेती में इनके इस्तेमाल से किसानों की आय में काफी इजाफा हो सकता है और फसलों की उत्पादकता-गुणवत्ता और उपज बढ़ सकती है। यह कहना है ट्रैक्टर्स एंड फार्म इक्विपमेंट (टैफी) की चेयरमैन और एमडी मल्लिका श्रीनिवासन का। चेन्नई में टैफी के शिवसैलम लर्निंग सेंटर में पत्रिका का मल्लिका श्रीनिवासन से बातचीत के प्रमुख अंश…

1. भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, लेकिन किसानों की आय और तकनीक की पहुंच उस रफ्तार से नहीं बढ़ी है। किसानों की आय बढ़ाने के लिए क्या किया जाना चाहिए?
– इस मामले में मेरी राय थोड़ी अलग है। भारत की 140 करोड़ की आबादी आज खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर है, यह हमारे किसानों के बिना संभव नहीं था। इसके लिए हमें अपने किसानों को धन्यवाद देना चाहिए। आज हम कई दूसरे विकासशील देशों की मदद कर रहे हैं और उन्हें अनाज निर्यात कर रहे हैं। किसानों की आय दोगुनी करने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजना सही दिशा में जा रही है। हालांकि और अच्छा करने की गुंजाइश हमेशा रहती है। देश में फसलों की उत्पादकता और उनका न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ा है। सिंचाई की व्यवस्था और पहुंच बेहतर हुई है। मैकेनाइजेशन (मशीनों) और टेक्नोलॉजी की वजह से खेती में लगने वाली मेहनत भी कम हुई है।
2. भारत के ग्रोथ स्टोरी को कैसे देखती हैं?
भारत की ग्रोथ स्टोरी और हमारे कृषि क्षेत्र का विकास पश्चिमी देशों का कट एंड पेस्ट मॉडल नहीं है। भारत की ग्रोथ स्टोरी से प्रभावित होकर कई विकासशील देश तरक्की कर रहे हैं। आज अफ्रीकी देशों में क्षमता की बात हो रही है, जिन्होंने भारतीय किसानों से कई चीजें सीखी हैं और भारत से इनपुट लेकर अपना विकास कर रहे हैं। यह हमारी स्वदेशी तकनीक है जिससे हमने देश की जरूरतों को पूरा किया है। पॉलिसी लेवल पर भारतीय कृषि क्षेत्र का इकोसिस्टम लगातार सुधर रहा है, ताकि उत्पादकता बढ़े और किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर हो। वहीं कॉरपोरेट लेवल पर खेती के लिए जो मशीनें और टेक्नोलॉजी विकसित हुई है वह देश के छोटे फार्म लैंड को ध्यान में रखकर की गई है। इससे हमारा विकास हुआ है और नई उम्मीद जगी हैं।
3. देश की जीडीपी में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी क्यों घट रही है?
क्योंकि, मैन्युफैक्चरिंग से लेकर सर्विस और इंडस्ट्री सहित अन्य सेक्टर काफी तेजी से विकास कर रहे हैं, जो देश के संपूर्ण विकास के लिए बेहद जरूरी है। उदाहरण के लिए राजस्थान में देखें तो जीडीपी राष्ट्रीय औसत से अधिक तेजी से बढ़ी है। वर्ष 2022-23 में राज्य की जीडीपी में कृषि का योगदान 28.95% था। यानी कृषि क्षेत्र का विकास काफी अच्छा है।

खेती में नई टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से ही बढ़ेगी किसानों की आय: मल्लिका श्रीनिवासन
4. विकसित देशों के मुकाबले भारत में प्रति एकड़ फसलों की उपज कम है, इसकी क्या वजह है?
हम ऐसा देश हैं जहां किसानों के पास बहुत छोटी जमीनें हैं। यहां की सामाजिक-आर्थिक स्थिति भी इसमें बड़ी भूमिका निभाती है। जनसंख्या बढऩे से जमीनें छोटी होती जा रही हैं। इसलिए क्रॉप यील्ड की तुलना विकसित देशों से करना ठीक नहीं है। देश में अधिकांश छोटे किसान हैं और हमारी टेक्नोलॉजी इन छोटे किसानों के लिए उपयुक्त हैं, लेकिन इसमें अभी सुधार का और स्कोप है। उदाहरण के लिए राजस्थान को लें तो वर्ष 2003-07 के मुकाबले अनाजों की उत्पादकता 62% बढ़ी है। दालों की उपज 54त्न तो तिलहन की उपज 36% बढ़ी है।
5.छोटी जमीनें, खेती के लिए पर्याप्त पूंजी का अभाव है। ऐसे में आपके लिए क्या चुनौतियां हैं?
देश अभी डेवलपमेंट के फेज में हैं और हमने इसमें काफी अच्छी प्रगति की है, तो यह हमारे लिए चुनौतियां नहीं हैं, बल्कि अवसर है। आज दुनियाभर में प्रीसिजन फार्मिंग का ट्रेंड है जिसमें साइंटिफिक फार्मिंग, सेंसेर्स और एनालिसिस टूल आदि के जरिए फसलों की उत्पादकता बढ़ाई जाती है। हमें सिंगल प्लांट लेवल पर क्रॉप यील्ड बढ़ाने की जरूरत है। इसके लिए हम बड़े पैमाने पर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे खेती की लागतघटेगी और उपज बढ़ेगी। इसमें मैकेनाइजेशन और ऑटोमेशन बड़ी भूमिका निभाएगा। इसके लिए रिसर्च जारी है। हम नए प्रोडक्ट और फार्म इक्विपमेंट लॉन्च करेंगे, ताकि खेती की लागत और समय घटे और उत्पादकता बढ़े। हम अपने जेफार्म में किसानों को ट्रेनिंग और सलाह देते हैं। साथ ही खेती के नए-नए तरीके सिखाते हैं, ताकि उनकी आय बढ़े। हम सीएसआर के जरिए भी किसानों के लिए काम करते हैं, क्योंकि आज हम जो कुछ भी हैं, किसानों की वजह से हैं। हम अपने जेफार्म में टनल कल्टीवेशन, ड्रोन जैसी नई टेक्नोलॉजी का प्रयोग खेती में करते हैं किसानों को सिखाते हैं, ताकि फसलों की उपज बढ़े। हम किसानों की प्रगति में उनके पार्टनर के रूप में काम करते हैं।
6. क्या आपकी ई-ट्रैक्टर लॉन्च करने की भी योजना है?
हम इलेक्ट्रिक टैक्टर लॉन्च करने के लिए तैयार हैं, लेकिन भारत में अभी यह किसानों के लिए किफायती और लाभकारी नहीं है। हां इंटरनेशनल मार्केट में हम जल्द ही ई-ट्रैक्टर लॉन्च करेंगे।
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7. छोटे किसानों के लिए क्या मिनी ट्रैक्टर लॉन्च करने की योजना है?
हमने 45-63 एचपी श्रेणियों में उच्च हॉर्स पावर वाले कई यूटिलिटी ट्रैक्टर पेश किए हैं। साथ ही छोटे फार्म और बागवानी (हॉर्टिकल्चर) के लिए 20 से 28 हॉर्स पावर वाले मिनी और कॉम्पैक्ट ट्रैक्टर की पूरी सीरीज लॉन्च की है। इनमें 6028 मैक्स प्रो, एमएफ 5225 जैसे कई मॉडल्स हैं। इसके अलावा छोटे बागीचों के लिए 20 एचपी से कम पावर वाले ट्रैक्टर भी हैं।
8. ट्रैक्टरों की इंडस्ट्रियल मांग कैसी है?
केवल कृषि क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि नालों की खुदाई, लोडर, हॉलेज, इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण जैसे सडक़ों का निर्माण, रूरल डेवलपमेंट, माइनिंग जैसे कार्यों के लिए ट्रैक्टर्स की भारी मांग है। इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में निवेश बढऩे से ट्रैक्टर्स की डिमांड बढ़ रही है। हम लोगों की जरूरतों और ट्रेंड के मुताबिक टेक्नोलॉजी को अपग्रेड करते हैं और प्रोडक्ट ऑफर करते हैं।
9. कंपनी के लिए आपके क्या ग्रोथ प्लान हैं?
मैकेनाइजेशन और ऑटोमेशन का दायरा बढ़ रहा है। ट्रैक्टर्स के अलावा लोडर्स, प्लांटर्स जैसे फार्म मशीनरी की मांग बढ़ी है। यह हमारे लिए ग्रोथ का बड़ा मौका है। भारत आज दुनियाभर में अपने क्वालिटी प्रोडक्ट के लिए जाना जाता है। विदेश में एक्सपोर्ट के लिए हम 220 हॉर्सपावर के ट्रैक्टर पर काम कर रहे हैं। त्योहारों में हमें अक्टूबर-नवंबर में भारत में ट्रैक्टरों की बिक्री बढऩे की उम्मीद है।

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