स्कैन कॉपी की दी गई अनुमति:
सीएएफ के डिजिटलाइजेशन के लिए सोमवार को जारी दूरसंचार विभाग के दिशानिर्देश के अनुसार, ‘दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) को कागज आधारित सीएएफ दस्तावेजों की डिजिटल रूप से स्कैन की गई रंगीन कॉपियों को रखने की अनुमति है। सभी सक्रिय ग्राहकों के लिए सीएएफ दस्तावेजों की डिजिटल रूप से स्कैन की गई कॉपियों को सुरक्षित रखा जाना चाहिए.’ सीएएफ दस्तावेजों में पहचान और आवास प्रमाण पत्र के दस्तावेजों के साथ सीएएफ शामिल होते हैं।
सर्विस प्रोवाइडर को अपने पास कई तरह के दस्तावेजों को संभालना पड़ता था, डिजिटलाइजेशन होने के बाद से सर्विस प्रोवाइडर्स के सामने से ये समस्या खत्म हो जाएगी।
अभी तक संबंध तोड़ चुके ग्राहकों के मामले में दूरसंचार कंपनियों को सीएएफ दस्तावेजों की डिजिटल रूप से स्कैन की गई कॉपी को तीन साल की अवधि के लिए संभालकर रखने की जरूरत होती थी। दिशानिर्देशों में कहा गया है, ‘कागजी दस्तावेजों को डिजिटलीकरण के बाद नष्ट किया जा सकता है। हालांकि कानून प्रवर्तन एजेंसियों/अदालतों के निर्देश पर इसे संभालकर रखने की जरूरत होगी.’ दूरसंचार विभाग ने कहा कागजी आवेदन फॉर्म के साथ दस्तावेजों के ऑडिट की आवश्यकता नहीं है।
कंपनियों को सरकार ने फिजिकल कागजात रखने की जरूरत को खत्म कर दिया है। अब मोबाइल कंपनियां ग्राहकों के सभी कागजात या फॉर्म डिजिटल फॉर्मेट में रखेंगी. अगर पुराना फॉर्म भी भरा गया है तो उसे स्कैन करके डिजिटल फॉर्म में रखा जा सकता है। अब तक टेलीकॉम कंपनियों को उपभोक्ताओं के सभी कागजात फिजिकल फॉर्म में रखने होते थे, लेकिन अब उसकी शर्त को खत्म कर दिया गया है. पहले सभी कागजातों की ऑडिटिंग की जाती थी। कागजों को रखने के लिए वेयरहाउस बनाए जाते थे।
COAI ने इस कदम का किया स्वागत:
टेलीकॉम इंडस्ट्री की संस्था सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) ने इस कदम की तारीफ करते हुए कहा है कि देश की जिस तेजी से डिजिटल के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है, कागजों को डिजिटल फॉर्मेंट में ले जाना का काम उसी दिशा में अहम कदम है। इससे टेलीकॉम कंपनियों के पास एक इलेक्ट्रॉनिक डेटाबेस तैयार होगा जिससे बिजनेस करने में आसानी (इज ऑफ डूइंग बिजनेस) होगी।