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रिजर्व बैंक ने जारी किया नया सर्कुलरआरबीआई ने एक सर्कुलर जारी करते हुए कहा है कि यदि एफडी मैच्योर होती है और किसी कारण से एफडी की राशि का भुगतान नहीं हो पाता है या इस पर क्लेम नहीं किया जाता है तो उस पर ब्याज दर सेविंग्स अकाउंट के हिसाब से या सावधि जमा की मैच्योरिटी पर ब्याज की अनुबंधित दर, जो भी कम हो, दी जाएगी। रिजर्व बैंक का नया आदेश देश में मौजूद सभी कॉर्मशियल बैंक, स्मॉल फाइनेंस बैंक, सहकारी बैंक, स्थानीय क्षेत्रीय बैंकों पर लागू होगा।
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क्या होता है फिक्स्ड डिपोजिटदरअसल फिक्स्ड डिपोजिट वह राशि है जो बैंकों में एक निश्चित अवधि के लिए तयशुदा ब्याज पर जमा करवाई जाती है। एफडी मैच्योर होने पर ब्याज की राशि जोड़कर क्लाइंट को मूलधन तथा बढ़ी हुई राशि दे दी जाती है। अब तक बहुत से भारतीय परिवारों में एफडी को आपातकालीन सेविंग्स के रूप में देखा जाता था। परन्तु रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का नया नियम जारी होने के बाद यदि राशि पर क्लेम नहीं किया तो उस पर मिलने वाले ब्याज की दर तथा राशि में परिवर्तन हो जाएगा और वह ‘बचत जमा पर देय’ ब्याज दर से हिसाब से देय होगा। ऐसे में यदि आपने एफडी मैच्योरिटी की डेट पर ध्यान नहीं दिया और सही समय पर क्लेम नहीं किया तो आपको आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।