अब नए गाइडलाइन के मुताबिक बिना ग्राहक के सहमति के बैंक किसी के भी नाम क्रेडिट कार्ड जारी नहीं कर सकेगा। यदि ऐसा हुआ तो ऐसी कंपनियों के खिलाफ आरबीआई कार्रवाई करेगी। RBI का मानना है कि क्रेडिट कार्ड कंपनी अपने फायदे के लिए आम आदमी के नाम झूठ बोलकर क्रेडिट कार्ड जारी कर देती हैं। जब वह बिल जमा नहीं कर पाता है तो उस पर कई चार्ज लगाकर पैसे को बढ़ा दिया जाता है. इसके बाद कंपनी की रिकवरी टीम के लोग ग्राहक के साथ अभद्र व्यवाहर करते हैं। जिसे बर्दास्त नहीं किया जा सकता।
नए नियम के अनुसार क्रेडिट कार्ड कंम्पनी बकाए बिल के भुगतान के लिए होल्डर्स को धमका नहीं सकती। अगर कोई बैंक ऐसा करता है तो रिजर्व बैंक के ओम्बड्समैन से इसकी शिकायत की जा सकती है। अगर क्रेडिट कार्ड कंपनी के लोग ग्राहक के साथ अभद्र व्यवाहर करेंगे तो वह कोर्ट जा सकता है, संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
साथ ही, कस्टमर से पूछे बिना उसके क्रेडिट कार्ड को अपग्रेड करने या खरीदारी की लिमिट बढ़ा देने पर बैंक पर जुर्माना लगाया जा सकता है। अगर कार्ड जारी करने वाली संस्था कार्ड बंद करने के लिए कहने पर भी देरी करती है तो उसे जुर्माना देना होगा। अगर कार्डधारक सभी बकायों का पेमेंट कर कार्ड को बंद करने के लिए कहता है तो उस संस्था को 7 दिन के अंदर कार्ड बंद करना होगा। ऐसा न करने पर अकाउंट क्लोज करने के दिन तक 500 रुपये रोजाना देने होंगे।
साथ ही कार्ड बंद करने की जानकारी डाक या कूरियर से भेजने के लिए मजबूर नहीं कर सकते क्योंकि तब आवेदन पहुंचने में काफी सम लगता है। कार्डहोल्डर को कार्ड बंद करने की जानकारी ईमेल या मेसेज के जरिए देनी होगी। कंम्पनी को अपनी वेबसाइट पर हेल्पलाइन नंबर, ई-मेल आईडी, आईवीआर, वेबसाइट पर ठीक से लिखान होगा। नए नियम के मुताबिक, क्रेडिट कार्ड जारी करने वाले बैंक कस्टमर्स को सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक ही कॉल कर सकते हैं।
बैंक क्रेडिट कार्ड जारी करने के समय कस्टमर्स को बेहद लुभावने तरीके से उसकी खूबियां बताते हैं, जबकि कार्ड से भुगतान पर लगने वाले ब्याज और अन्य चार्जेस की जानकारी नहीं दी जाती है। केंद्रीय बैंक के नए क्रेडिट कार्ड नियम के मुताबिक, क्रेडिट या डेबिट कार्ड जारी करने से पहले बैंक अपने कस्टमर्स को कार्ड पर लगने वाले ब्याज के साथ अन्य सभी प्रकार के चार्ज की अनिवार्य रूप से जानकारी देंगे।
क्रेडिट कार्ड धारण कर रहे धारकों की एक शिकायत यह हमेशा रहती है कि उन्हें चार्ज संबंधी उचित जानकारी नहीं मिल पाती है। ऐसे में ग्राहकों के हितों की रक्षा करते हुए रिजर्व बैंक ने पारदर्शिता बढ़ाने पर फोकस किया है। नए गाइडलाइन के मुताबिक, क्रेडिट कार्ड जारी करने वालों को सालाना चार्ज के बारे में विस्तार से जानकारी साझा करनी होगी। बैलेंस ट्रांसफर, रिटेल पर्चेज, कैश एडवांस, मिनिमम पेमेंट नहीं करने पर, लेट पेमेंट फीस समेत अन्य तरह के चार्जेस के बारे में ग्राहकों को विस्तृत जानकारी साझा करनी होगी।
तो वहीं अगर किसी क्रेडिट कार्ड के जारी होने के बाद एक साल से ज्यादा समय तक इस्तेमाल नहीं होता तो बैंक या संस्था कार्डहोल्डर को जानकारी देकर इस बंद कर सकती है। अगर इसके बाद भी 30 दिन कार्डहोल्डर कोई जवाब नहीं देता तो बैंक उस कार्ड को बंद कर सकेगा। अदक क्रेडिट कार्ड बंद होने के बाद भी क्रेडिट कार्ड होल्डर के कार्ड में कोई बैलेंस है तो उसे बैंक अकाउंट को ट्रांसफर करना होगा।