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मुफ्त बिजली और कर्ज माफी को लेकर आया बड़ा अपडेट, RBI ने जारी की चेतावनी

RBI: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने राज्यों को उनकी आर्थिक नीतियों को लेकर सतर्क करते हुए एक अहम रिपोर्ट जारी की है। मुफ्त बिजली और परिवहन जैसी सुविधाओं पर सवाल उठाए गए हैं। आइए जानते है पूरी खबर।

मुंबईDec 20, 2024 / 12:48 pm

Ratan Gaurav

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RBI: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने राज्यों को उनकी आर्थिक नीतियों को लेकर सतर्क करते हुए एक अहम रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में कृषि ऋण माफी, मुफ्त बिजली और परिवहन जैसी सुविधाओं पर सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट का कहना है कि ऐसी योजनाओं से राज्यों के संसाधनों पर अत्यधिक दबाव बढ़ सकता है, जिससे उनके सामाजिक और आर्थिक बुनियादी ढांचे के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
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RBI ने राज्यों को दी चेतावनी

आरबीआई (RBI) की रिपोर्ट, जिसका शीर्षक राज्य वित्त 2024-25 के बजट का एक अध्ययन है, में यह बताया गया है कि राज्यों ने राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में रखने में सफलतापूर्वक प्रगति की है। पिछले तीन वर्षों (2021-22 से 2023-24) के दौरान राज्यों ने अपने सकल राजकोषीय घाटे (Fiscal Deficit) को GDP के 3% के भीतर सीमित रखा है। इसके अलावा, राजस्व घाटे को भी 2022-23 और 2023-24 में GDP के 0.2% पर सीमित रखा गया है। हालांकि, रिपोर्ट ने यह भी आगाह किया है कि राजकोषीय घाटे में कमी के बावजूद, कई राज्यों ने अपने बजट में ऐसी योजनाओं की घोषणा की है, जिनसे उनके वित्तीय संसाधनों पर भारी बोझ पड़ सकता है। इनमें कृषि ऋण माफी, मुफ्त बिजली, परिवहन, बेरोजगार युवाओं को भत्ता और महिलाओं को नकद सहायता जैसे प्रावधान शामिल हैं।

बढ़ती सब्सिडी और उसके प्रभाव

रिपोर्ट के अनुसार, सब्सिडी पर खर्च में तेज वृद्धि एक बड़ी चिंता का विषय है। यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से कृषि ऋण माफी, मुफ्त/सब्सिडी वाली सेवाओं (जैसे बिजली, परिवहन और गैस सिलेंडर) और नकद हस्तांतरण जैसी योजनाओं के कारण हो रही है।RBI का कहना है कि इस प्रकार की नीतियों से राज्यों के पास उपलब्ध संसाधन खत्म हो सकते हैं, जिससे वे अपनी बुनियादी विकास योजनाओं को पूरा करने में असमर्थ हो सकते हैं।

राज्यों को दी गई सलाह

सब्सिडी व्यय का नियंत्रण: राज्यों को सब्सिडी पर होने वाले खर्च को नियंत्रित करना चाहिए और तर्कसंगत बनाना चाहिए।
विकास पर ध्यान: राज्यों को अपनी पूंजीगत खर्च (Capital Expenditure) को बढ़ाने और व्यय की गुणवत्ता में सुधार करने पर जोर देना चाहिए।
दीर्घकालिक नीतियां अपनाएं: उच्च ऋण-जीडीपी अनुपात और बढ़ते सब्सिडी बोझ के चलते, राज्यों को ऐसी दीर्घकालिक नीतियां अपनानी चाहिए जो राजकोषीय मजबूती सुनिश्चित कर सकें।

GDP अनुपात में सुधार, लेकिन चिंताएं बरकरार

आरबीआई (RBI) ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि राज्यों की कुल बकाया देनदारियां मार्च 2024 के अंत तक GDP के 28.5% पर आ गई हैं, जो मार्च 2021 में 31% थीं। हालांकि, यह अब भी महामारी-पूर्व स्तर से अधिक है।
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क्या हो सकता है समाधान?

राज्यों को अपनी प्राथमिकताओं में बदलाव करना होगा। मुफ्त योजनाओं से हटकर जरूरी नीतियों को अपनाना समय की मांग है। इसके साथ ही, राजस्व में बढ़ोतरी के लिए नए स्रोतों की पहचान करना और व्यय की गुणवत्ता में सुधार करना जरूरी है।

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