70 करोड़ से बढ़ सकती है संख्या
वर्ल्ड बैंक ने साल 2017 की कीमतों का उपयोग करते हुए नई वैश्विक गरीबी रेखा 2.15 डॉलर पर निर्धारित की गई है। यानी अब जो भी व्यक्ति 2.15 डॉलर से कम में रोज अपना गुजारा करता है, तो उसे अत्यधिक गरीबी में रहने वाला माना जाएगा। साल 2017 में वैश्विक स्तर पर सिर्फ 70 करोड़ लोग इस स्थिति में थे, लेकिन मौजूदा समय में यह संख्या बढ़ने की आशंका है।
इसलिए बदलनी पड़ती है परिभाषा
विश्व बैंक वैश्विक गरीबी रेखा को समय-समय पर दुनियाभर में कीमतों में बदलाव को दर्शाने के लिए बदलता है। अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा में वृद्धि दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलना में कम आय वाले को गिना जाता है। कम आय वाले देशों में बुनियादी भोजन, कपड़े और आवास की जरूरतों में इजाफा को बताता है। इसलिए विश्व बैंक को गरीबी की परिभाषा को बदलना पड़ता है।
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भारत कम हो रहे है गरीब
भारत बीपीएल की स्थिति में साल 2011 की तुलना में 2019 में 12.03 प्रतिशत की गिरावट आई है। ग्रामीण गरीबी में कमी आई है यानी वहां पर लोगों की आमदनी में इजाफा हुआ है। एक रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में साल 2019 से आधी घटकर 10.02 फीसदी दर्ज की गई। वहीं साल 2011 की बात करे तो यह 22.05 फीसदी थी। इन आंकड़ों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यंत गरीबों तेजी से गिरावट आई है।
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छोटे किसानों की कमाई में वृद्धि
छोटे किसानों की आमदनी में तेजी से इजाफा हो रहा है। आंकड़ों के मुताबिक, सबसे छोटी जोत वाले किसानों के लिए वास्तविक आय में दो सर्वेक्षण के दौर (2013 और 2019) के बीच सालाना 10 फीसदी की वृद्धि दर्ज की है। आंकड़ों के अनुसार, बड़ी जोत वाले किसानों की आय कम वृद्धि हुई है। इस अवधि में केवल दो फीसदी बढ़ी है।