आर्थिक स्थिति का करें मूल्यांकन
होम लोन लेते समय अपनी आय के साथ-साथ अपने मौजूदा खर्च और कर्ज का आकलन करें। ऐसा करने से आपको पता रहेगा कि आपको कितनी रकम बैंक से लोन के तौर पर लेना चाहिए। जो आपको ईएमआई में देने में परेशानी न हो। ज्यादा लोन लेने से आपका ईएमआई ज्यादा आएगी। जिसे मैनेज करना आसान नहीं होगा।लोन की अवधी रखें छोटा
होम लोन लेते समय इस बात का जरूर ध्यान रखें कि लोन की अवधि छोटी हो। इससे कम ब्याज देकर आप लोन को जल्दी खत्म कर लेते हैं। छोटी अवधि में आप मुलधन ज्यादा जमा कर पाएंगे। ऐसा करने से आपका लोग जल्दी जमा हो जाएगा। साथ ही ब्याज भी कम देना होगा। इसके अलावा यह भी ख्याल रखें कि आप जिस कीमत का मकान खरीद रहे हैं उसमें कम से कम 20 प्रतिशत डाउन पेमेंट दें। जितना ज्यादा आप डाउन पेमेंट देते हैं, उतना कम लोन आपको लेना पड़ेगा।आय बढ़ने पर बढ़ाएं ईएमआई
अगर आय बढ़ने पर आप अपना ईएमआई बढ़ा देते हैं तो आपका लोन जल्दी खत्म हो जाएगा। क्योंकि ज्यादा ईएमआई देने से आप लोन का प्रीसिपल अमाउंट ज्यादा दे पाते हैं। इससे आपके लोन की अवधि घट जाता है। लोन खत्म हो जाने के बाद आप अपने पैसों से निवेश की योजना बना सकते हैं।अपने लोन का कराएं इंश्यारेंस
लोन एक लायबिलिटी होती है, इसलिए इसे लेते समय आपको अपने परिवार को सुरक्षित करने के लिए लोन का बीमा जरूर करवाएं। ज्यादातर बैंकों में लोन लेते समय ये बीमा ऑफर किया जाता है। अगर आप लोन का इंश्यारेंस करवा लेते हैं, तो किसी अनहोनी की स्थिति में लोन चुकाने का जिम्मा आपके परिवार पर नहीं आएगा। इंश्योरेंस कंपनी इसे चुकाएगी। इससे आपके बाद परिवार पर लोन का आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा।लोन के फीचर्स की करें तुलना
जब आप लोन लेने वाले हों तब विभिन्न बैंकों के लोन फीचर्स की तुलना जरूर करें। कौन सा बैंक ज्यादा बेनिफिट दे रहा है। क्योंकि अलग-अलग बैंक के इंटरेस्ट रेट्स, लोन अमाउंट, एलटीवी रेश्यो, लोन टेन्योर और प्रोसेसिंग फीस में अंतर होता है। इसके अलावा लोन लेते समय आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा होना चाहिए। इससे आपकी विश्वसनीयता बढ़ती है। साथ ही लोन अप्रूव होने के चांसेस भी बढ़ जाते हैं। क्रेडिट स्कोर अच्छा होने पर कई बार बेहतर ब्याज दरों पर लोन भी मिल जाता है।