विदेशी कोषों की निकासी से बढ़ा दबाव (Indian Rupee Fall)
भारतीय बाजार में विदेशी पूंजी निवेशक अपनी हिस्सेदारी बेच रहे हैं, जिससे रुपये की स्थिति कमजोर (Indian Rupee Fall) हुई है। बीते कुछ समय से विदेशी कोष भारत समेत उभरते बाजारों से अपनी पूंजी वापस निकाल रहे हैं, क्योंकि अमेरिकी बाजार (Indian Rupee Fall) में निवेश का रुझान बढ़ रहा है। अमेरिका में ब्याज दरों में संभावित वृद्धि के संकेत ने निवेशकों का ध्यान वहां के बाजारों की ओर आकर्षित किया है, जिससे भारतीय मुद्रा (Indian Rupee Fall) पर दबाव बना हुआ है। ये भी पढ़े:- खुल गया 2200 करोड़ का आईपीओ पैसे लगाने से पहले, जान लें ये जरुरी बात भारतीय अर्थव्यवस्था पर महंगाई का असर
रुपये की गिरावट (Indian Rupee Fall) का सीधा असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। सबसे पहले, आयातित वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी। रुपये की गिरावट (Indian Rupee Fall) से आम उपभोक्ताओं पर सबसे बड़ा असर महंगाई के रूप में दिखाई देगा। पेट्रोल, डीजल, और गैस की कीमतें पहले ही बढ़ चुकी हैं, और रुपये की कमजोरी से इनकी कीमतें और बढ़ सकती हैं। इसके अलावा, विदेशी सामान, इलेक्ट्रॉनिक्स, वाहन और अन्य आयातित वस्तुओं की कीमतों में भी इजाफा होगा
घरेलू शेयर बाजार में गिरावट का असर
घरेलू स्तर पर भी भारतीय शेयर बाजार में लगातार गिरावट (Indian Rupee Fall) जारी है, जो रुपये के प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। आईटी, बैंकिंग और ऊर्जा क्षेत्र के शेयरों में बिकवाली का दबाव देखने को मिला है। इस कारण निवेशकों की धारणा कमजोर हुई है और मुद्रा बाजार में भी इसका असर साफ दिखाई दे रहा है।
कच्चे तेल की कीमतों में उछाल ने बढ़ाई चिंता
कच्चे तेल की कीमतों में पिछले कुछ समय से तेजी देखी जा रही है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Rupee Fall) के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का बड़ा हिस्सा आयात के माध्यम से पूरा करता है, और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें भारतीय मुद्रा पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आए उछाल के कारण भारत का आयात महंगा हुआ है, जिससे रुपये पर अतिरिक्त दबाव पड़ा है।
नोटबंदी का प्रभाव
आज यानी 8 नवंबर के दिन ही भारत में नोटबंदी लागू हुई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई नोटबंदी का प्रभाव अभी भी भारतीय अर्थव्यवस्था पर महसूस किया जा रहा है। नोटबंदी के समय बाजार में भारी उतार-चढ़ाव आया था, और इसके बाद डिजिटल भुगतान और बैंकों में धन की स्टोरज ने अर्थव्यवस्था की गति पर असर डाला हैं। नोटबंदी के बाद बैंकिंग सेक्टर में सुधार की दिशा में कई कदम उठाए गए, लेकिन वर्तमान में रुपये की कमजोरी और विदेशी मुद्रा का संकट एक बार फिर बाजार में अनिश्चितता का माहौल बना रहा है। ये भी पढ़े:- बाजार में भारी गिरावट, सेंसेक्स 424 अंक गिरा तो निफ्टी भी हुआ धड़ाम अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक का निवेशकों पर प्रभाव
आगामी अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक को लेकर भी बाजार में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। उम्मीद है कि फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर सकता है, जिससे डॉलर को मजबूती मिल रही है। इसके चलते निवेशक भारतीय रुपये जैसे उभरते बाजारों की बजाय अमेरिकी डॉलर में निवेश को प्राथमिकता दे रहे हैं।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार का प्रदर्शन
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपये ने आज 84.26 प्रति डॉलर पर शुरुआत की। कारोबार के दौरान रुपये ने 84.26 के उच्चतम स्तर और 84.38 के न्यूनतम स्तर के बीच उतार-चढ़ाव देखा, और 84.37 के निचले स्तर पर बंद हुआ। इस तरह, भारतीय मुद्रा ने छह पैसे की गिरावट (Indian Rupee Fall) के साथ एक और नया रिकॉर्ड निचला स्तर छू लिया है।