अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते प्रभाव से खुश है पाकिस्तानी सेना, कहा-डूब रहा है भारत का निवेश
देश में कानूनी मान्यता नहीं मिलने के बावजूद भी पिछले कुछ समय में क्रिप्टोकरेंसी में निवेशकों की रुचि बढ़ी है। वर्तमान में इसके लिए कोई रेग्यूलेटर भी नहीं है ऐसे में फेक ऐप्स और वास्तविक ऐप्स के बीच अंतर मालूम करना और भी अधिक कठिन हो जाता है। इस स्थिति का फायदा फेक ऐप्स के जरिए उठाया जा रहा है और उन ऐप्स के जरिए आपके बैंक अकाउंट की डिटेल्स लेकर धोखाधड़ी की जा रही है।देश में कोविड-19 के नए मामलों में कमी पर डरा रहे हैं यह आंकड़े, जानिए ये 10 फैक्ट
सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स के अनुसार वर्तमान में ऐसे ऐप्स की संख्या 150 से भी अधिक है जो क्रिप्टो ट्रेडिंग की सुविधा उपलब्ध करवा रहे हैं। इन ऐप्स में से कुछ ऐप्स गूगल प्ले स्टोर पर भी उपलब्ध हैं, जिन्हें गूगल ने शिकायत मिलने के बाद प्ले स्टोर से हटा दिया था।ऐसे फेक ऐप्स यूजर को यह विश्वास दिलाते हैं कि उनके जरिए आप क्रिप्टो माइनिंग कर सकते हैं। ये यूजर्स से बाकायदा 10 डॉलर से लेकर 250 डॉलर तक की फीस भी लेते हैं। पेमेंट भी ऑनलाइन लिया जाता है ताकि किसी प्रकार का कोई संदेह न रहें। इनमें किसी भी तरह की टर्म्स एंड कंडीशन नहीं लिखी होती, न ही कोई कॉन्टेक्ट नम्बर होते हैं जिसके जरिए आप अपनी शिकायत उन तक पहुंचा सके।
दोनों ही बड़ी कंपनियों ने एक गाइडलाइन बनाई हुई है। इस गाइडलाइन का पालन करने वाले ऐप्स को प्ले स्टोर या एप्पल स्टोर में जगह दी जाती हैं। फेक ऐप्स टेक कंपनियों की पॉलिसी गाइडलाइन को फॉलो करते हैं और प्रत्यक्ष रूप से किसी भी प्वाइंट का उल्लंघन नहीं करते परन्तु एक बार मोबाइल में इंस्टॉल होने के बाद ये यूजर की डिटेल्स चुराना और गाइडलाइन का उल्लंघन शुरू कर देते हैं। ऐसे में कंपनियां इनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लेती परन्तु यदि इन ऐप्स की शिकायत की जाए और वह सही पाई जाए तो इन्हें हटाया भी जा सकता है।
सबसे बड़ी बात, कभी भी थर्ड पार्टी से कोई भी ऐप डाउनलोड न करें। यदि आप किसी ऐप को डाउनलोड करना ही चाहते हैं तो गूगल के प्ले स्टोर या एप्पल स्टोर से ही डाउनलोड करें अथवा किसी आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर करें अन्यथा आप को नुकसान उठाना पड़ सकता है।