ये भी पढ़े:- अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए की सबसे बड़ी गिरावट, लोगों की जेब पर पड़ेगा असर क्या है विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) ? (FII vs DII)
विदेशी संस्थागत निवेशक, जिसे आमतौर पर FII (Foreign Institutional Investor) कहा जाता है, ऐसे विदेशी संस्थान, कंपनियां या फंड होते हैं, जो दूसरे देशों के वित्तीय बाजारों (FII vs DII) में निवेश करते हैं। FII के जरिए भारत जैसे उभरते बाजारों में विदेशी पूंजी प्रवाहित होती है, जिससे बाजार की तरलता बढ़ती है और आर्थिक विकास को गति मिलती है।
भारतीय शेयर बाजार पर FII का प्रभाव
भारतीय शेयर बाजार में FIIs का निवेश एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब FIIs बड़े पैमाने पर निवेश करते हैं, तो इससे बाजार में तेजी आती है और शेयरों की कीमतों में वृद्धि होती है। इसके विपरीत, जब FIIs अपनी पूंजी वापस निकालते हैं, तो बाजार में गिरावट देखी जाती है। रुपये के मूल्य, ब्याज दरों, और वैश्विक आर्थिक घटनाक्रमों पर FIIs का निवेश निर्भर करता है।
क्या हैं डीआईआई (DII)
डीआईआई का पूरा नाम घरेलू संस्थागत निवेशक (Domestic Institutional Investors) है, जो उन संस्थाओं को संदर्भित करता है जो घरेलू बाजार में बड़े पैमाने पर निवेश करती हैं। इनमें म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियाँ, बैंक, पेंशन फंड, और अन्य भारतीय वित्तीय संस्थान शामिल होते हैं। डीआईआई का मुख्य उद्देश्य भारतीय शेयर बाजार में निवेश करके अपने ग्राहकों या सदस्यों के लिए रिटर्न उत्पन्न करना होता है।
म्यूचुअल फंड की हिस्सेदारी रिकॉर्ड ऊंचाई पर
अक्टूबर 2024 में, FIIs की घटती हिस्सेदारी के विपरीत, भारतीय म्यूचुअल फंड्स ने बाजार में अपनी पकड़ को और मजबूत किया है। म्यूचुअल फंड की हिस्सेदारी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है, जिससे यह साफ होता है कि भारतीय निवेशक घरेलू इक्विटी बाजार में अधिक भरोसा दिखा रहे हैं। सितंबर में कुल म्यूचुअल फंड्स की संपत्ति का मूल्य 76.80 लाख करोड़ रुपये था, जो अक्टूबर में और बढ़ने के आसार में है।
विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी में गिरावट के कारण
विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी में इस गिरावट के पीछे कई कारण हैं। वैश्विक आर्थिक अस्थिरता, अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी और कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव जैसे कारकों ने विदेशी निवेशकों को भारतीय बाजार से पूंजी निकालने के लिए मजबूर किया है। इसके अलावा, चीन और अन्य उभरते बाजारों में निवेश के नए अवसर भी विदेशी पूंजी को भारत से बाहर खींच रहे हैं। ये भी पढ़े:- खुल गया 2200 करोड़ का आईपीओ पैसे लगाने से पहले, जान लें ये जरुरी बात भारतीय बाजार में विदेशी निवेश की स्थिति
यह गिरावट भारतीय बाजार में विदेशी निवेश (FII vs DII) की स्थिति को कमजोर करती है। जहां पिछले वर्षों में विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार (FII vs DII) में बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी निभाई थी, वहीं अब इनका रुझान घट रहा है। यदि यह प्रवृत्ति जारी रही, तो भारतीय कंपनियों के शेयर की कीमतों पर और अधिक असर पड़ सकता है, और बाजार (FII vs DII) की स्थिरता पर भी सवाल खड़े हो सकते हैं।