पढ़े ताप्ती नदी पर किए शोध में क्या निकले चौंकाने वाले तथ्य
ताप्ती नदी पर शीतल को पीएचडी की उपाधि, बोलीं प्रदूषित हो रहा पानी- महाराष्ट्र से मिली उपाधि
What surprising facts about the research done on the Tapti River
बुरहानपुर. शहर की जीवन दायनी मां ताप्ती नदी प्रदूषित हो रही है यह सभी जानते हैं। लेकिन इसमें चौकाने वाली बात जब सामने आईतब बि?ट्स कॉलेज के माईक्रोबाईलॉजी विभागाध्यक्ष शीतल पाटीदार ने इस पर शोध कर पीएचडी की उपाधिक हांसिल की। शीतल बोलीं शोध में पता चला ताप्ती का पानी पीने लायक तो दूर नहाने योग्य भी नहीं है। इसे प्रदूषित होने से बचाना चाहिए।
शीतल पाटीदार को अमरावती महाराष्ट्र के संत गाडगेबाबा विश्वविद्यालय ने वाटर क्वालिटी इंडेक्स ऑफ ताप्ती रिवर के शोध विषय पर माइक्रोबाईलॉजी विषय में पीएचडी की उपाधि प्रदान की है। पाटीदार ने अपना शोध ताप्ती नदी के पानी की विशेषताओं पर प्रकाश डाला है। डॉ. शीतल पाटीदार की इस उपलब्धि पर शारदा पाटीदार, अमित मिश्रा, राखी मिश्रा, अनिल जैन, मनीष पटेल ऋजुता पटेल पाटीदार समाज के गणमान्य व महाविद्यालय के समस्त स्टॉफ ने उनका स?मान किया।
नेपानगर से भुसावल तक शोध
प्रोफेसर शीतल ने नेपानगर से भुसावल तक ताप्ती नदी के पानी पर शोध कार्य कर उस पानी की गुणवत्ता, विशेषता आदि पर विस्तारपूर्वक शोध कर ताप्ती के पानी के संपूर्ण बिन्दुओं का अध्ययन किया। यह जांच नेपानगर, जैनाबद, बुरहानपुर, बसाड़, हतनुर, नाचनेखड़ा का पानी लेकर इसे बी?ट्स कॉलेज के लैब में शोध किया है।
इसलिए प्रदूषित हो रही ताप्ती
शीतल बताती है कि तीन साल तक ताप्ती नदी पर शोध किया।इसमें पता चला की नदी सबसे अधिक फैक्ट्रियों से निकलकर आ रहे अपशिष्ठ से खराब हो रही है।नेपानगर में जहां पानी में अधिक मात्रा में क्लोरिन पाया गया। तो बुरहानपुर के पानी सूक्ष्मजीव अधिक है।शीतल का कहना हैकि ताप्ती का पानी कमर्शियल के उपयोग में भी नहीं ले सकते। ताप्ती नदी के पानी में नाइट्रेाइट और सल्फेट की मात्रा भी अधिक है।इस पानी से जो ताप्ती किनारे सब्जियां लगाई जा रही है, वह भी हानिकाकरक है।
यहां मिली थोड़ी राहत
नगर निगम ताप्ती नदी के बसाड़ में १३१ करोड़ के ताप्ती जलावर्धन कार प्रोजेक्ट तैयार कर रहा है।शीतल के शोध में यह जरूर राहत भरी बात सामने आईकी बसाड़ में ताप्ती नदी कम प्रदूषित है।यहां पर फिल्टर प्लांटकर पानी पीने के उपयोग में लिया जा सकता है।
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