प्राचीन कथाओं के अनुसार भगवान श्री राम वनवास के दौरान बुरहानपुर जिले से भी गुजरे थे। ताप्ती नदी के नागझिरी घाट पर उनके पिता महाराज दशरथ का श्राद्ध कर रेत की शिवपिंड बनाई थी। पूजन कर वह आगे की ओर निकले थे। इसलिए इस मंदिर का नाम रामेश्वर पड़ा। प्रदीप नाविक ने बताया कि मंदिर का रंग रोगन किया गया है। बड़ी संख्या में भक्त दर्शन करने आएंगे।
ेेऐसे तो बुरहानपुर में कई ऐसे मंदिर है जो महाभारत और रामायण काल से बने हुए हैं। जैसे की असीरगढ़ पर बना शिव मंदिर। यहां अब भी किदवंती है कि अश्वतथामा आकर आज भी यहां रोज सुबह ताजा फूल भगवान शिवजी को अर्पित करके जाते हैं। महाजनापेठ में गुप्तेश्वर मंदिर, सतियारा घाट पर बागेश्वर मंदिर, प्रतापपुरा में हाटकेश्वर मंदिर, बाइसाहब की हवेली पर एक साथ दो प्राचीन मंदिर व शाह बाजार में मंदिर प्राचीनतम है।