शहर के लगभग सभी एटीएम की सुरक्षा भगवान भरोसे है। एक एटीएम में रुपए निकालने के लिए दो से अधिक लोग अंदर रहते हैं। काडज़् के नंबर से लेकर पासवडज़् तक की गोपनीयता नहीं बचती। एटीएम पर गाडज़् तैनात रहे तो इस तरह की वारदात में कामी आ सकती है, लेकिन बैंक प्रबंधक ग्राहकों की रकम को लेकर जरा भी सतज़्क नहीं है, जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। वारदात के बाद पूरी जिम्मेदारी पुलिस पर थोप दी जाती है। जबकि पुलिस अधिकारी लम्बे समय से एटीएम पर सुरक्षा के लिए गाडज़् तैनात करने की चेतावनी बैंक प्रबंधकों को दे रहे हैं।