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बुरहानपुर

अंतराम अवासे जिला बदर मामले में एमपी हाई कोर्ट का आदेश, अब मोहन सरकार की बड़ी तैयारी

Antram Awase Jila Badar Case: प्रदेश भर में गूंजा एमपी हाई कोर्ट का आदेश, अब मोहन सरकार की बड़ी तैयारी, आदेश पर कोर्ट में अपील करेगी सरकार, यहां पढ़ें पूरा मामला

बुरहानपुरJan 27, 2025 / 12:43 pm

Sanjana Kumar

MP High Court

MP High Court जबलपुर के आदेश पर कोर्ट में अपील करेगी सरकार.

Antram Awase Jila Badar Case: जबलपुर हाई कोर्ट द्वारा अंतराम अवासे का जिलाबदर खारिज करने के साथ 50 हजार का जुर्माना लगाने पर अब सरकार की तरफ से जिला प्रशासन कोर्ट में अपील करने जा रहा है। कोर्ट से जारी आदेश का विश्लेषण करने के बाद कानूनी सलाह लेकर धारा 5 क, स्वतंत्रता गवाह, कलेक्टर न्यायालय के आदेश सहित अन्य बिंदुओं को कोर्ट के समक्ष रखा जाएगा। जिलाबदर आदेश खारिज होने के बाद जाग्रत आदिवासी संगठन ने गांव में अवासे का स्वागत किया।

धारा 5क के तहत किया था जिलाबदर

डिप्टी कलेक्टर राजेश पाटीदार ने कहा कि कलेक्टर न्यायालय से मध्य प्रदेश राज्य सुरक्षा अधिनियम 1990 की धारा 5क के तहत अनावेदक अंतराम अवासे का जिलाबदर आदेश जारी किया गया था, लेकिन उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा जो आदेश पारित किया है वह धारा 6 में पारित किया गया है, जबकि धारा 6 का उपयोग नहीं हुआ।
कलेक्टर को यह अधिकार है कि अगर किसी व्यक्ति या संपत्ति को नुकसान की आशंका हो तो राज्य सुरक्षा अधिनियम 1990 की धारा 5 क में जिलाबदर की कार्रवाई कर सकते हैं।

जिलाबदर आदेश से पहले अनावेदक को सुनवाई का मौका भी दिया गया। 40 पेज की फाइल में 7 स्वतंत्र गवाह भी शामिल किए गए हैं। प्रशासन द्वारा अधिवक्ताओं का अभिमत लेने के बाद हाई कोर्ट में अपील दायर कर रहे हैं।

यह बोलीं कलेक्टर

कलेक्टर भव्या मित्तल ने कहा कि एक साल पूर्व वन विभाग की तरफ से रखे गए जिलाबदर के प्रकरण में धारा 5 के तहत आदेश हुआ था, लेकिन यह बात कोर्ट में सही तरह से नहीं रखी गई। हाई कोर्ट ने धारा 6 में आदेश पारित किया, कुछ बिंदुओं को लेकर अपील दायर की जा रही है।

इधर…अवासे का गांव में हुआ स्वागत

जिलाबदर आदेश के खारिज होने के बाद टंट्या मामा जयंती पर अंतराम अवासे का गांव में स्वागत किया गया। जाग्रत आदिवासी दलित संगठन ने ग्राम सिवल में टंट्या मामा देव स्थल पर संविधान की प्रस्तावना पढ़ी। ग्रामीणों द्वारा पुष्पहार से स्वागत किया गया। उन्होंने कहा कि एक साल पहले प्रशासन ने झूठे आरोपों पर आधारित जिलाबदर आदेश हाई कोर्ट द्वारा खारिज किया गया।
यह साबित करते हुए कि यह आदेश पूरी तरह से अन्यायपूर्ण था। जयंती कार्यक्रम में खरगोन, बड़वानी के प्रतिनिधि भी पहुंचे। आदिवासी सभा के बाद ढोल मांदल बजाते हुए पारंपरिक नाच करते हुए उत्सव का समापन किया।

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