वन विभाग ने झरबंधा जलस्रोत में पक्षियों व मगरमच्छों के भोजन के लिए मछलियों का बीज भी डाला था, जिससे उन्हें यहां पर्याप्त भोजन मिल रहा है। जानकारी अनुसार ये दोनों मगरमच्छ मादा है और जल्दी ही यहां नर मगरमच्छ भी छोड़ने की योजना है।
इनमें से एक मगरमच्छ काफी ह्रष्टपुष्ट व बड़े आकर का है, जबकि एक अभी बच्चा है। इससे पहले रामगढ़ टाइगर रिजर्व में मगरमच्छ नहीं थे, हालांकि जिले की नदियों व अन्य बड़े जलस्रोतों पर इनकी मौजूदगी बनी हुई है, जो आने वाले समय में पर्यटकों के लिए आकर्षण केन्द्र बनेंगे।
कोर क्षेत्र में टाइगर सफारी से बढ़ेंगे पर्यटक
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में अभी बफर जोन के तीन रूट पर ही जंगल सफारी चल रही है, जिससे पर्यटकों को यहां की समृद्ध जैवविविधता की झलक नहीं दिख पा रही है। टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में ही अधिकतर वन्यजीवों की गतिविधियां रहती है। टाइगर रिजर्व में रामगढ़ वन्यजीव अभयारण्य कोर प्रथम में जबकि चम्बल घड़ियाल अभयारण्य कोर द्वितीय में शामिल है। अभी तक कोर क्षेत्र के जंगलों में टाइगर सफारी की स्वीकृति नहीं मिल पाई है, जिससे पर्यटकों को निराशा होती है।
वन विभाग ने कोर क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियां शुरू करवाने के लिए प्रस्ताव भिजवा रखे है और उम्मीद है कि जल्दी ही नए रूटों पर भी पर्यटकों को जाने की अनुमति मिलेगी।
जमुनियां द्वीप प्रमुख क्रोकोडाइल पॉइंट
रामगढ विषधारी टाइगर रिजर्व के कोर 2 क्षेत्र में चम्बल की खूबसूरत वादियों में जैव विविधता से समृद्ध जमुनियां द्वीप एक टापुओं का समूह है। यहां नाव में सवार होकर 200 से अधिक मगरमच्छों को टापुओं पर धूप सेंकते देखना पर्यटकों के लिए यादगार क्षण होता है। वन विभाग ने जमुनियां द्वीप को इको टूरिज्म के रूप में विकसित करने के काम शुरू कर दिए है। यहां किनारे पर नोताड़ा बीरज के पास वन विभाग की चौकी बनकर तैयार हो चुकी है तथा नाव से गश्त की जाती है।
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टीसीपी पर टिकी निगाहें
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व की बाघ संरक्षण योजना (टीसीपी) बनाकर भेज रखी है और इसके स्वीकृत होने पर कोर क्षेत्र में भी टाइगर व जंगल सफारी शुरू करवाने के प्रयास है।-रामकरण खेरवा, फील्ड डायरेक्टर रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व, बूंदी
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