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विद्यालय में नौनिहालों के लिए बैठने की जगह नहीं, कमरों की छत से टपक रहा पानी

क्षेत्र की जरखोदा पंचायत के कलमिया गांव में स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय का भवन जर्जर अवस्था में है। छत से टपकता पानी बच्चों की पढ़ाई में व्यवधान बना हुआ है। इस विद्यालय में कक्षा एक से आठवीं तक के 86 विद्यार्थी है।

बूंदीAug 09, 2024 / 06:42 pm

पंकज जोशी

विद्यालय में नौनिहालों के लिए बैठने की जगह नहीं, कमरों की छत से टपक रहा पानी

करवर. विद्यालय के जर्जर कक्षा कक्ष।

करवर. क्षेत्र की जरखोदा पंचायत के कलमिया गांव में स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय का भवन जर्जर अवस्था में है। छत से टपकता पानी बच्चों की पढ़ाई में व्यवधान बना हुआ है। इस विद्यालय में कक्षा एक से आठवीं तक के 86 विद्यार्थी है। वहीं विद्यालय में 4 कक्ष है, जिसमें से 2 कक्ष में बरसात के दिनों में बारिश का पानी अधिक टपक रहा है। वहीं एक कक्ष में कार्यालय बना हुआ है।
कक्षा कक्ष में छत का पानी टपकने की वजह से बैठने की जगह की समस्या बनी रहती है, जिससे दिन भर पढ़ाई प्रभावित रहती है। विद्यालय में शिक्षकों को भी शिक्षण कार्य में समस्या उत्पन्न हो रही है। विद्यालय मे समन्वित आंगनबाड़ी केंद्र की छत भी जर्जर है, जिससे आंगनबाड़ी केंद्र में भी बच्चे नहीं बैठ पा रहे हैं तथा छत गिरने का अंदेशा बना रहता है। विद्यालय के प्रधानाध्यापक रिंकू कुमार योगी, शिक्षक अंजनी नागर ने बताया कई बार उच्चाधिकारियों को भवन की छत मरम्मत कराने के लिए पत्र लिखे है, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।
प्रस्ताव तैयार कर भेजा, समाधान नहीं हुआ
विद्यालय भवन जर्जर हाल में होने को लेकर राजस्थान पत्रिका ने दो साल पहले खबर प्रकाशित कर बच्चों की परेशानी को उजागर किया था। जिसके बाद शिक्षा विभाग के अधिकारी दौड़ पड़े थे तथा विद्यालय भवन की मरम्मत के लिए शिक्षा विभाग ने भवन की छत, फर्श, दीवारों की मरम्मत सहित रंग-रोगन कराने के लिए 4 लाख 70 हजार रुपए का तकमीना बनाया तथा स्वीकृत कराने के लिए समग्र शिक्षा अभियान बूंदी के एडीपीसी कार्यालय में भी भेज दिया था। लेकिन 2 साल बाद भी नौनिहालों की समस्या का समाधान नहीं हो पाया है।
मवेशियों का लगा रहता है जमावड़ा
विद्यालय के शिक्षक व ग्रामीणों ने बताया कि विद्यालय के नाम न तो भूमि पट्टा है, न ही विद्यालय भवन के चारदीवारी है। चारदीवारी के अभाव में परिसर में मवेशियों का जमावड़ा लगा रहता है, जिससे नौनिहालों को गंदगी व दुर्गंधमय वातावरण का सामना करना पड़ता है तथा मवेशियों से छात्रों को खतरा बना रहता है। कई बार तो विद्यालय के छात्र परिसर से मवेशियों द्वारा फैलाई गंदगी को पानी से साफ करते है। वर्ष 2019 के जनवरी माह में तत्कालीन जिला कलक्टर ने विद्यालय का निरीक्षण भी किया था। ग्रामीणों की मांग व समस्या बताने पर कलक्टर ने सम्बधित अधिकारियों को भवन का पट्टा बनाने व चारदीवारी निर्माण के दिशा निर्देश दिए थे, लेकिन अभी तक भी समस्या वही बनी हुई है।
विद्यालय जाने की डगर नहीं आसान
नोताडा. देईखेडा व खेडीया दुर्जन गांव में बच्चे कंधे पर स्कूल बैग रखकर विद्यालय जाते हैं। उनकी डगर में कीचड़ बाधा बना हुआ है। देईखेडा व्यापार मंडल अध्यक्ष दिनेश व्यास ने बताया की कस्बे के चौगान मोहल्ले में गणेशजी के कुएं के पास का रास्ता कीचड़ से भरा है। यहां पर विद्यालय के छात्र छात्र-छात्राओं व मोहल्ले वासियों को निकलने से पहले कीचड का सामना करना पड़ रहा है। उधर खेडीया दुर्जन गांव निवासी देव प्रकाश गुजर ने बताया कि है गुर्जरों के मोहल्ले में सडक़ के दोनों ओर नालिया नहीं होने से आम रास्ते पर कीचड़ फैला रहता है। विद्यालय पहुंचकर कीचड़ के पैरों को पानी से धुलकर अन्दर जाना पड़ता है।

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