परिजन अपने बच्चो को रिजल्ट से पहले ही अपने विश्वास में लेना शुरू कर दें। उन्हें विश्वास दिलवाएं परिणाम केसा भी हो, चिंता की जरूरत नहीं। अच्छे नतीजे न आए तो आगे बेहतर तैयारी करें। ओर मंजिल की ओर बढ़ जाए उनका बातचित के दौरान हौसला बढ़ाए।
बच्चे के व्यवहार में रिजल्ट जारी होने के साथ ही बदलाव नजर आए तो इसे अनदेखी न करें। बच्चा अगर मजाक में भी रिजल्ट खराब आने के बाद घर से बाहर जाने की कहें तो उसके समझाएं। जिला शिक्षा अधिकारी तेजकवर ने बताया की रिजल्ट आने के बाद विद्यार्थी यह नही सोचे की अच्छा मोका गया। अभी ओर मोके है जिदंगी में।
पालक बच्चों को प्रोत्साहित करें की अभी उनके पास ओर भी मोके है। 10वीं 12वी कॅरियर का अंत नही है। अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी चंद्र प्रकाश राठौर का कहना है की बच्चों को साहस के साथ किसी भी चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरित करें।