जिला न्यायालय और कलक्ट्रेट फिर सुरक्षा के यह हाल
फायरिंग की घटना के बाद पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था पर कई सवाल खड़े हो गए हैं। जिला न्यायालय के साथ-साथ परिसर में जिला कलक्ट्रेट, जिला परिषद और पुलिस उपअधीक्षक कार्यालय भी है। ऐसे में कोई यूं आए और अंधाधुंध फायर कर आसानी से लौट जाए, पुलिस की कार्यशैली को संदेह के घेरे में खड़ा करता है। यहां अभिभाषकों ने भी पुलिस अधिकारियों के समक्ष इस बात को लेकर नाराजगी जाहिर की। पूर्वमंत्री हरिमोहन शर्मा ने कहा कि अन्य प्रदेशों से अपराधियों को यहां न्यायालय में पेश करने लाए और सुरक्षा को लेकर कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है। बूंदी में पुलिस अधिकारियों की कार्यप्रणाली ठीक नहीं रही। उन्होंने राज्य के गृहमंत्री को पूरे मामले का मोबाइल पर मैसज भेजा। उन्होंने पुलिस अधीक्षक आदर्श सिधु से दूरभाष पर बात की और देर तक जिम्मेदार अधिकारियों के मौके पर नहीं पहुंचने के मामले को लेकर गहरी नाराजगी जाहिर की। यहां अन्य अधिवक्ताओं ने बताया कि यदि गोली अन्य लोगों को भी लगती तो कई जानें जाती। अधिवक्ता हरीश गुप्ता ने बताया कि सबसे पहले वारदात उनके थड़े के निकट ही हुई।प्राप्त जानकारी के अनुसार यहां घटना स्थल के निकट ही बैरक था और करीब एक दर्जन पुलिस जवान मौजूद थे। बैरक में अन्य कैदी भी थे।अपराधियों से निपटने के लिए जवानों को पंप एक्शन गन चलाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
पुराने मामले के फरियादी से की पूछताछ
फायरिंग की वारदात के बाद पुलिस ने घायल राकेश के खिलाफ दबलाना थाने में मामला दर्ज करवाने वाले फरियादी से भी पूछताछ की। पुलिस ने फरियादी रणवीर से वारदात व पूर्व की घटना को लेकर जानकारी जुटाई। पुलिस पूर्व की घटना को जोड़कर आरोपितों तक पहुंचने का प्रयास कर रही बताई।
आईजी देर तक बैठे रहे कोतवाली
घटना के बाद बूंदी पहुंचे कोटा आईजी विशाल बंसल ने घटना स्थल का जायजा लिया। इसके बाद वे सीधे कोतवाली थाने पहुंचे। लगभग ४.३० बजे उन्होंने कोतवाली थाने में पुलिस अधिकारियों से वारदात को लेकर चर्चा की। इसके बाद वे रात तक थाने में ही बैठे रहे।
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पहले भी हुई थी फायरिंग
बूंदी न्यायालय परिसर में पुलिस हिरासत में मौजूद आरोपित पर फायरिंग पहले भी हुई थी। तब प्राणघातक हमले के मामले में गिरफ्तार दो भाइयों को कोर्ट में पेश करने के दौरान फायरिंग हुई। हालांकि तब हमलावरों को पकड़ लिया था।
सीसीटीवी भी नहीं
सुरक्षा व्यवस्था को लेकर यहां सीसीटीवी नहीं लगे हुए। बाहर सड़क पर भी किसी ने सीसीटीवी नहीं लगाया हुआ। इसी का परिणाम रहा कि घटना के बाद पुलिस हमलावरों की पहचान के लिए कुछ नहीं कर पाई।