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बूंदी कोर्ट मेें फायरिंग के साथ ही खुल गई राजस्थान पुलिस के दावों की पोल-

नजर नही आई गश्त, सीसीटीवी भी नहीं, हाथ पर हाथ धरे बैठे रही पुलिस

बूंदीDec 06, 2017 / 02:57 pm

Suraksha Rajora

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IG Bansal sees the site of the incident

बूंदी- दिनदहाड़े कोर्ट परिसर में हुई फायरिंग की घटना के बाद पुलिस प्रशासन पर सवालिया निशान लग गया। हफ्ते भर पहले ही जिला पुलिस अधीक्षक आदर्श सिधु ने नई गश्त व्यवस्था शुरू की। पुलिस वाहनों में चालीस सशस्त्र जवान शहर के हर प्रमुख स्थान पर निगाह रखने की बात कही गई। ताकि आपराधिक वारदातों पर े लगाम कसी जा सके लेकिन मंगलवार को कोर्ट परिसर में हुई अंधाधुंध फायरिंग के साथ पुलिस के दावों की भी पोल खुलती नजर आई।
दोपहर -२.२० का समय, स्थान – जिला न्यायालय परिसर, बूंदी समूची सड़क खचाखच। वाहन निकालने तक की ठोर नहीं और इसी बीच अंधाधुंध फायरिंग शुरू हो गई। पीछे बैग टांगे युवक दोनों हाथों को ऊपर किए फायर करने लगा, इसी बीच करीब खड़े दूसरे युवक ने भी फायरिंग शुरू कर दी। चालानी गार्ड भाग छूटे और कैदी सड़क पर निढाल हो गया। इस समय तक दोनों युवक करीब एक दर्जन फायर कर चुके। सड़क पर पड़े कैदी से खून बह निकला और वह चिल्लाने लगा। आवाजें सुनाई पड़ी मुझे बचा लो…, मुझे उठा लो…! तब तक तीन मिनट हो गए। तब एक चालानी गार्ड वापस लौटा और उसे उठाने लगा। बाद में दो और आए। फायरिंग की आवाजें तब न्यायालय के गेट पर पुलिस चौकी के निकट पहुंच गई। गेट पर तीन गो िलयां चली। गेट पर ही एक अन्य युवक बाइक स्टॉर्ट कर खड़ा मिला। गोलियां चलने का सिलसिला यहां भी नहीं थमा। गोपाल सिंह प्लाजा के निकट रोडवेज बस के आगे भी दहशतगर्दों ने दो फायर किए। इस दहशत भरे माहौल के कुछ देर बाद लोगों ने हिम्मत दिखाना शुरू की और घायल पड़े कैदी को अस्पताल पहुंचाया। हालांकि घटना के बाद न्यायालय परिसर में मौजूद हर कोई सहमा दिखाई दिया। लोग यहां-वहां दुबक गए। पुलिस के सुरक्षा इंतजाम कहीं नहीं दिखे।
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जिला न्यायालय और कलक्ट्रेट फिर सुरक्षा के यह हाल
फायरिंग की घटना के बाद पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था पर कई सवाल खड़े हो गए हैं। जिला न्यायालय के साथ-साथ परिसर में जिला कलक्ट्रेट, जिला परिषद और पुलिस उपअधीक्षक कार्यालय भी है। ऐसे में कोई यूं आए और अंधाधुंध फायर कर आसानी से लौट जाए, पुलिस की कार्यशैली को संदेह के घेरे में खड़ा करता है। यहां अभिभाषकों ने भी पुलिस अधिकारियों के समक्ष इस बात को लेकर नाराजगी जाहिर की। पूर्वमंत्री हरिमोहन शर्मा ने कहा कि अन्य प्रदेशों से अपराधियों को यहां न्यायालय में पेश करने लाए और सुरक्षा को लेकर कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है। बूंदी में पुलिस अधिकारियों की कार्यप्रणाली ठीक नहीं रही। उन्होंने राज्य के गृहमंत्री को पूरे मामले का मोबाइल पर मैसज भेजा। उन्होंने पुलिस अधीक्षक आदर्श सिधु से दूरभाष पर बात की और देर तक जिम्मेदार अधिकारियों के मौके पर नहीं पहुंचने के मामले को लेकर गहरी नाराजगी जाहिर की। यहां अन्य अधिवक्ताओं ने बताया कि यदि गोली अन्य लोगों को भी लगती तो कई जानें जाती। अधिवक्ता हरीश गुप्ता ने बताया कि सबसे पहले वारदात उनके थड़े के निकट ही हुई।प्राप्त जानकारी के अनुसार यहां घटना स्थल के निकट ही बैरक था और करीब एक दर्जन पुलिस जवान मौजूद थे। बैरक में अन्य कैदी भी थे।अपराधियों से निपटने के लिए जवानों को पंप एक्शन गन चलाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
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पुराने मामले के फरियादी से की पूछताछ
फायरिंग की वारदात के बाद पुलिस ने घायल राकेश के खिलाफ दबलाना थाने में मामला दर्ज करवाने वाले फरियादी से भी पूछताछ की। पुलिस ने फरियादी रणवीर से वारदात व पूर्व की घटना को लेकर जानकारी जुटाई। पुलिस पूर्व की घटना को जोड़कर आरोपितों तक पहुंचने का प्रयास कर रही बताई।
आईजी देर तक बैठे रहे कोतवाली
घटना के बाद बूंदी पहुंचे कोटा आईजी विशाल बंसल ने घटना स्थल का जायजा लिया। इसके बाद वे सीधे कोतवाली थाने पहुंचे। लगभग ४.३० बजे उन्होंने कोतवाली थाने में पुलिस अधिकारियों से वारदात को लेकर चर्चा की। इसके बाद वे रात तक थाने में ही बैठे रहे।

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पहले भी हुई थी फायरिंग
बूंदी न्यायालय परिसर में पुलिस हिरासत में मौजूद आरोपित पर फायरिंग पहले भी हुई थी। तब प्राणघातक हमले के मामले में गिरफ्तार दो भाइयों को कोर्ट में पेश करने के दौरान फायरिंग हुई। हालांकि तब हमलावरों को पकड़ लिया था।

सीसीटीवी भी नहीं
सुरक्षा व्यवस्था को लेकर यहां सीसीटीवी नहीं लगे हुए। बाहर सड़क पर भी किसी ने सीसीटीवी नहीं लगाया हुआ। इसी का परिणाम रहा कि घटना के बाद पुलिस हमलावरों की पहचान के लिए कुछ नहीं कर पाई।

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