प्रदेश में 7 हजार 446 के प्राचार्या के पद रिक्त है। इसके अलावा विभिन्न विषयों के प्राध्यापक स्कूल शिक्षा के करीब 17 हजार 338 व्याख्याताओं के पद भरने की आवश्यकता है। इसके साथ ही 25 हजार 351 वरिष्ठ अध्यापकों की कमी बनी हुई है। यहीं नहीं 23 हजार 736 अध्यापकों कमी से इसका सीधा असर छात्रों की शिक्षा और स्कूलों की प्रगति पर पड़ रहा है। इधर,शिक्षक संगठनों का कहना है सरकार को रिक्त पदों की ओर ध्यान देकर इससे भरना चाहिए। साथ ही संगठन लंबे समय से डीपीसी की मांग करते हुए आ रहा है।
विभाग में प्रधानाचार्य, व्यायाता, वरिष्ठ अध्यापक, शारीरिक शिक्षक, पुस्तकालय अध्यक्ष, प्रयोगशाला सहायक, लिपिक, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, प्रशासनिक अधिकारी एवं अन्य कार्मिकों के कई पद रिक्त हैं। शिक्षा विभाग में शिक्षकों के रिक्त पदों का खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। शिक्षक नहीं होने से उनकी पढाई पूरी नहीं होती है। वहीं प्रदेश में समय पर भर्ती परीक्षा नहीं होने से बेरोजगारों की संख्या में इजाफा हो रहा है। विभाग में चतुर्थ श्रेणी कार्मिकों का भी टोटा है। प्रदेश में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के 22 हजार 558 पद रिक्त है। ऐसे में स्कूलों में कई कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
दो महीने बाद दिसबंर में अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं है। शिक्षकों की पदरिक्ता के कारण विद्यालयों में पढ़ाई बाधित हो रही है। वरिष्ठ अध्यापक व व्याख्याता की पदोन्नति पिछले 4 सत्र से बकाया चल रही है। उप प्राचार्य व प्रधानाचार्य की भी डीपीसी बकाया है। क्रमोन्नत विद्यालयों व्याख्याता पदों की स्वीकृति की जाकर 50 फीसदी पदोन्नति व 50 फीसदी सीधी भर्ती से भरे जाने के लिए बकाया पदोन्नति अतिशीघ्र की जाए। उसके बाद सीधी भर्ती निकालकर रिक्त पदों को भरा जाना चाहिए, ताकि पढ़ाई सुचारू हो सके।
बसन्त कुमार, प्रदेश प्रवक्ता, राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ रेस्टा
शिक्षा विभाग माध्यमिक शिक्षा में सभी संवर्ग शिक्षकों के काफी समय से रिक्त पद पड़े हुए हैं। 2012 के बाद स्टाफिंग पैटर्न नहीं हुआ है एवं 4 वर्ष से डीपीसी नहीं होने के कारण माध्यमिक शिक्षा में पद खाली पड़े हैं। विद्यालय के बालकों की अर्धवार्षिक परीक्षा सिर पर है। शिक्षकों के अभाव में पढ़ाई में व्यवधान हो रहा है।
गोपाल मीणा, जिलाध्यक्ष,राजस्थान पंचायती राज एवं माध्यमिक शिक्षक संघ,बूंदी