गौरतलब है कि ऐरू नदी तिलस्वा महादेव मन्दिर के पास से निकलकर ग्राम पंचायत तिलस्वां, कांस्या, राणाजी का गुढ़ा होकर जिले की ग्राम पंचायत लाबाखोह, राजपुरा, धनेश्वर होती हुए अबेरानी वन क्षेत्र (मुकन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व क्षेत्र) से चंबल नदी में मिलती है। बरड़ क्षेत्र से होकर बहकर निलकने वाली एक मात्र ऐरू नदी का मूल स्वरूप बिगड़ चुका था। खनन से निकलने वाला मलबा व वेस्ट सेण्ड स्टोन अवैध खननकर्ता नदी में ही डाल दिया करते थे। मलबे से नदी की भराव क्षमता कम होती चली गई। धीरे धीरे नदी का मूल स्वरूप खतरे में पड़ गया।
इस मामले में पर्यावरण प्रेमी विट्ठल सनाढ्य द्वारा हाईकोर्ट में लगाई गई याचिका लगाई गई। याचिका पर ऐरू नदी को वास्तविक स्वरूप में लाने का फैसला सुनाया गया। फैसले तहत डीएमएफटी फंड से 11 करोड़ की घोषणा कर खनिज विभाग, जल संसाधन विभाग और राजस्व विभाग व स्थानीय प्रशासन ने संयुक्त रूप से कार्य करते हुए ऐरू नदी को अपने मूलस्वरूप में ला खड़ा किया। कार्यक्रम के दौरान नायब तहसीलदार अनिल धाकड़, भाजपा नेता गोपाल धाकड़, विक्रम सिंह हाडा, राजपुरा सरपंच अंबालाल बैंसला सहित अन्य मौजूद रहे।
राजस्थान पत्रिका ने भी किया था ध्यान आकर्षित
राजस्थान पत्रिका में 25 फरवरी 2024 को शीर्षक खबर खनन के मलबे से बिगड़ा स्वरूप : भीलवाड़ा से बूंदी जिले में होते हुए चंबल में गिरता है पानी, जिम्मेदारों ने आंखे मूंदी: विलुप्त होने की कगार पर ऐरू नदी व 14 मई 2022 को खबर शीर्षक रळाव डालकर बरसाती खाळ का बिगाड़ रहे प्राकृतिक स्वरूप प्रकाशित कर प्रशासन के ध्यान आकर्षित किया था।