प्राचीन टीला अब बना यमदूत
तीन टीलों में बसी प्राचीन नगरी के बीच का टीला अब यमदूत बनता जा रहा है। भगवान केशवराय के मंदिर वाले इस टीले के सहारे मंदिर की सीढिय़ों से लेकर नाव घाट के पास तक प्राचीन बुर्ज बनी हुई है। जिससे मंदिर तो सुरक्षित है, लेकिन इसके आगे सुरक्षा दीवार का अभाव होने से इस टीले की मिट्टी खिसकने लग गई। बुर्जों से लेकर जैन अतिशय क्षेत्र तक मिट्टी के ऊपर बने सरकारी भवन जर्जर हो चुके हैं। इस टीले के नीचे ही एक दर्जन केवट समाज के परिवार अभी भी निवास कर रहे हैं।
दिल का दर्द जुबां पर आया
चम्बल नदी नाव घाट के रास्ते पर जैन मंदिर के सामने वाले टीले के सहारे रहने वाले केवट परिवारों की दर्द भरी कहानी उनकी जुबां पर आ गई। पत्रिका संवाददाता ने जब इन परिवारों के मुखियाओं से बात की तो उनकी आंखें भर आई। सुनील केवट ने बताया कि बारिश के समय में खतरा अधिक बढ़ गया, जिससे पूरे परिवार की चिंता बढ़ गई। चंबल में जब उफान आता है तो पानी मकानों तक आ जाता है। तेज बारिश से ऊपर से मिट्टी गिरने लग जाती है। महावीर केवट का कहना है कि हम मौत के मुहाने पर रह रहे हैं। प्रशासन ने कभी भी इस समस्या को गंभीरता से नहीं लिया। हादसे में अपने परिवार के सात सदस्य खोने वाले घनश्याम केवट ने बताया कि पट्टे के मकानों में रह रहे हैं, लेकिन ऊपर और नीचे मौत का साया है। कभी नदी का डर रहता है तो कभी ऊपर किनारे की मिट्टी गिरने लगती है। मुकेश केवट ने बताया कि आमदनी का जरिया मात्र चंबल नदी में नाव का संचालन कर परिवार पालना है। वह भी अब बंद हो चुका। जहां रहते हैं वह स्थान भी सुरक्षित नहीं रहा। प्रशासन व जनप्रतिनिधियों ने कभी भी इस समस्या को गंभीरता से नहीं लिया।
कुछ वर्षों पहले सुरक्षा दीवार बनी थी, इसकी पूरी जांच कराने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। सभी परिवार सुरक्षित स्थानों पर बसें इसके लिए जिला कलक्टर से भी बात की है। इस मामले को मुख्यमंत्री के ध्यान में लाया जाएगा।
राजेन्द्र चौधरी, संभाग प्रभारी, कांग्रेस