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बुलंदशहर

नहीं मिला पक्का मकान तो शौचालय को बना लिया आशियाना

परियोजना निदेशक जिला ग्राम्य अभिकरण विकास विभाग विनय कुमार बताते हैं कि सर्वे में सात हजार लोग ऐसे मिले थे जिनके पास रहने के लिए अपना घर नहीं है।

बुलंदशहरSep 16, 2021 / 11:15 am

Nitish Pandey

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बुलंदशहर. सरकारी योजनाओं का कागजों में भी हाल बेहतर हो लेकिन वास्तविकता के धरातल पर इनकी हकीकत कुछ और ही है। सरकार की योजना हर परिवार को पक्की छत मुहैया करने की थी। लेकिन यहां पर तो हाल ये हैं कि आवेदन करने के कई साल बात भी पक्की छत नसीब नहीं हुई। शौचालय बना तो उसी को अपने रहने का ठिकाना बना लिया गया।
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पक्के मकान के लिए दो साल पहले किया था आवेदन

हालात यह है कि इसी शौचालय में पेट भरने के लिए खाना बनाया जाता है और बारिश के दौरान पूरा परिवार इसी में पनाह पाता है। यह स्थिति खुर्जा तहसील क्षेत्र के गांव हजरत पुर में रहने वाले ग्रामीणों की है। यहां पर बारिश के दौरान कच्चे मकान का छप्पर टपकने पर पूरा परिवार शौचालय में रात काटता है। सरकारी पैसे से दो साल पूर्व परिवार के लिए शौचालय तो बना दिया गया, लेकिन पक्के घर के लिए दो साल पूर्व आवेदन करने के बाद भी अभी तक घर नहीं मिल पाया है। ग्राम समाज की जमीन पर छोटी सी झोपड़ी डालकर परिवार किसी तरह गुजर बसर कर रहा है।
मजदूरी कर पालन पोषण करता है परिवार

गांव हजरतपुर निवासी बॉबी पॉटरी में मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण करता है। परिवार में उसकी पत्नी पायल तीन बेटियां और दिव्यांग बड़ा भाई है। ग्राम समाज की जमीन पर झोपड़ी बनाकर पूरा परिवार उसी में रहता है। गांव के तत्कालीन प्रधान ने दो साल पूर्व एक शौचालय बनवाया था। झोपड़ी में पर्याप्त जगह न होने के कारण शौचालय में पॉट पर पत्थर रखकर परिवार के लिए शौचालय में ही खाना बनता है। उसी में खाने पीने का सारा सामान भी रखा हुआ है। हालत यह है कि बारिश के मौसम में पूरी झोपड़ी टपकने लगती है। बचने के लिए पूरा परिवार शौचालय में आ जाता है। बॉबी की पत्नी पायल ने बताया कि कई बार बारिश में पूरी रात शौचालय में बैठकर काटनी पड़ी।
प्रधानमंत्री आवास के तहत किया था आवेदन

बॉबी ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत उन्होंने आवेदन किया था, लेकिन तीन साल बीत गए आज तक योजना का लाभ नहीं मिल पाया। बड़ा भाई दिव्यांग होने के कारण कुछ भी करने में अक्षम है। ऐसे में मजदूरी कर पूरे परिवार का पेट भरना पड़ रहा है।
जिले में सात हजार लोग रह रहे बिना अपनी छत के

इस बारे में परियोजना निदेशक जिला ग्राम्य अभिकरण विकास विभाग विनय कुमार बताते हैं कि सर्वे में सात हजार लोग ऐसे मिले थे जिनके पास रहने के लिए अपना घर नहीं है। इन सभी प्रधानमंत्री आवास योजना में पात्र मानते हुए सूची शासन को भेज दी गई थी। जबकि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शासन से 171 लोगों को इस बार आवास का लक्ष्य रखा गया है। उनमें से 34 लोग खुर्जा तहसील क्षेत्र के हैं। इसके लिए 58 लाख की राशि जारी कर दी गई है। 40-40 हजार रुपये की पहली किस्त लाभार्थियों को भेजी जा चुकी है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास के लिए 1.20 लाख रुपये का प्रावधान है। पहली किस्त में चालीस हजार, दूसरी किस्त 70 हजार और तीसरी किस्त में दस हजार रुपये जारी किए जाते हैं।

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