
तस्वीर में जो आप देख रहे हैं, यह मिनी ताज महल बुलन्दशहर के डिबाई के कसेरकला में रिटायर्ड पोस्टमास्टर फैजुल हसन कादरी ने बनवाया था, वो भी अपनी बेगम की याद में। दरअसल, फैजुल हसन कादरी बेऔलाद थे, लेकिन दोनों शाहजहां और मुमतज की तरह एक दुसरे से जीवन के 70 दशक पार करने के बाद भी बेपनाह मुहब्बत करते थे। यही वजह थी कि एक दिन तजमुल्ल बेगम के कहने पर फैजुल हसन कादरी ने पत्नी की याद में मिनी ताजमहल बनवाने का वायदा कर दिया था। कुछ साल बाद तजमुल्ल बेगम का निधन हो गया तो मिनी ताजमहल में ही दफन कर बराबर में अपनी भी कब्र तैयार करा दी थी। और लोगों से कह दिया था कि बेगम के बराबर में ही मुझे भी दफन किया जाए। इसी बीच जीवन के 80 बसंत देखने के बाद फैजुल हसन कादरी 21वीं सदी के शाहजहां कहलाए जाने लगे।
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सडक हादसें में शुक्रवार को घायल होने के बाद एक प्राइवेट अस्पताल में फैजुल हसन कादरी की मौत हो गई। कसेरकला में हजारों नम आंखों के बीच शनिवार को फैजुल हसन कादरी का जनाजा निकला और मरहूब बेगम की कब्र के बराबर में ही उन्हें सपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। अब फैजुल हसन कादरी के परिजन उनकी जमीन पर बनें राजकीय बालिका इण्टर कॉलेज का नाम तजमुल्ल बेगम के नाम पर कराने की मांग कर रहे हैं। फैजुल हसन कादरी की दान की गई जमीन पर ही राजकीय बालिका इण्टर कालेज बनवाया गया है। अपनी मेहनत की कमाई से बनाए मिनी ताज महल से मरहूम बेगम की कब्र के बराबर में दफन किया गया है।