बंदर पर अगौता थाने में तैनात दरोगा संजय त्यागी की नज़र पड़ी। दरोगा बंदर को खाना, पानी आदि मुहैया कराने लगे। देखते ही देखते बंदर को अब दरोगा से इस कदर लगाव हो गया कि बंदर दरोगा के इर्द-गिर्द नज़र आता है। बंदर थाने के भीतर कुर्सी पर बैठे दरोगा की बाजू पर अठखेलियां करता है। कंधे पर चढ़ जाता है और बाजू का तकिया बनाकर मेज पर ही सो भी जाता है।
संजय त्यागी का कहना है कि बंदर को कई बार उसके झुंड में छोड़ कर आ चुके हैं, लेकिन थाने में लौट आता है। दरोगा संजय के मुताबिक बंदर करीब एक माह से इंसानों के बीच रह रहा है।