उन्होंने आगे लिखा, ”ASI (जो भारत सरकार के तहत काम करती है) और उत्तर प्रदेश सरकार भी केस में पार्टी है। दोनों सरकारों को 1991 एक्ट के अनुसार अपनी बात रखनी होगी। शर पसंद हिंदुत्ववादी तंजीमें किसी भी हद तक जा सकते हैं, उन पर रोक लगाना भारत के अमन और इत्तिहाद के लिए बहुत जरूरी है। आने वाली नस्लों को ‘एआई’ की पढ़ाई के बजाए ‘एएसआई’ की खुदाई में व्यस्त कर दिया जा रहा है।”
क्या है पूरा मामला
आपको बता दें कि हिंदू महासभा की तरफ साल 2022 में में जामा मस्जिद में नीलकंठ महादेव मंदिर होने का दावा करते हुए वाद दायर किया था। अब मामले में अगली सुनवाई तीन दिसंबर तय की गई है। यह मामला सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रहा है। कोर्ट में शनिवार को जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी की ओर से अपना पक्ष रखा गया, इसके बाद बहस की गई। बहस पूरी न होने पर कोर्ट ने तीन दिसंबर की तारीख दी है।