बता दें कि प्रदेश में परिवार नियोजन के तहत नसबंदी कार्यक्रम सरकार द्वारा चलाया जा रहा है। जिसके चलते जगह-जगह सिविर लगाकर लोगों को जागरूक करते हुए उनकी नसबंदी की जाती है। ऐसा कराने वालों को सरकार द्वारा प्रोत्साहन भी दिया जाता है। वर्ष 2019-20 में जनपद में अलग-अलग सिविरों में 2115 महिलाओं ने नसबंदी कराई थी। इनमें से 24 महिलाओं की नसंबदी फेल हो गई और इसके चलते वह गर्भवती हो गईं।
वहीं जिला महिला अस्पताल की डॉ रूचि गुप्ता का कहना है कि नसबंदी फेल होने का कारण कभी-कभी मरीजों की ओर से की जाने वाली लापरवाही हो सकता है। महिलाओं की एक नस में नसबंदी के दौरान रिंग डाल कर उसे बंद किया जाता है। इसके बाद उन्हें कम से कम दो महीने तक शारीरिक संबंध नहीं बनाने की सलाह दी जाती है। लेकिन अक्सर महिलाएं इसका पालन नहीं करती हैं और इसके चलते वह गर्भवती हो जाती हैं। इसके अलावा कुछ मामलों में रिंग सही से अपनी जगह पर नहीं पहुंच पाता है, इसलिए भी कई केसों में नसबंदी फेल हो जाती है।
ये मामले महानिदेशक परिवार कल्याण को भेजे गए डॉ. एस के अग्रवाल, एडी हेल्थ ने बताया कि जिन 12 महिलाओं की मुआवजे की फाइल महानिदेशक परिवार कल्याण को भेजी गई है उनमें रोहिना पत्नी रईस शेखूपुर बदायूं, धर्मवती पत्नी कुंवरचंद्र खिरकवारी मानपुर सहसवान, रिंकी पत्नी रामबल दबथरा आसफपुर, शिखा पत्नी विष्णु सरनमई उसहैत, रूपवती पत्नी मुनेंद्र वृंदावन बदायूं, शकुंतला पत्नी वीरेश कुडरा मझारा दातागंज, शीला देवी पत्नी बालजीत बिहरा नगला पोस्ट दबथरा बदायूं, सुस्मिता पत्नी माखनलाल नरसिंहपुर उझानी, कुंती देवी पत्नी मुकेश दातागंज, गीता देवी पत्नी पूरन लाल आसफपुर, रामश्री पत्नी जायसवाल भूरीपुर, रीना पत्नी लाला मुल्लापुर पोस्ट सालारपुर शामिल हैं।