बोल्ड सीन देने का हुआ पछतावा
स्मिता पाटिल ने एक साक्षात्कार में शेयर किया था कि वर्ष 1982 में उन्होंने पहली कर्मिशयल फिल्म ‘नमक हलाल’ की थी। इसमें उनके अपोजिट अमिताभ बच्चन थे। इस मूवी में एक गाना था ‘आज रपट जाएं तो हमे ना उठाईयो’। इस गाने की डिमांड थे बोल्ड सीन। स्मिता के शब्दों में,’इस गाने में हर सीन और गाने के हर बोल बहुत ही बोल्ड और रोमांटिक थे और मैं इस गाने को लेकर काफी डरी हुई थी।’ ये गाना बेहतरीन ढंग से शूट हुआ और रिलीज के बाद बेहद पॉपुलर हुआ। हालांकि गाने की शूटिंग की रात स्मिता ये सोच-सोचकर रोती रहीं कि उन्होंने कभी ऐसे बोल्ड सीन नहीं दिए। मेरे फैंस इसे देखकर मेरे बारे में क्या सोचेंगे।
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अमिताभ ने भांप लिया था
बताया जाता है कि गाने की शूटिंग के दूसरे दिन अमिताभ बच्चन ने स्मिता को देखा और वे समझ गए कि उनको कैसा महसूस हो रहा है। अभिनेता ने गाने की सीन्स को लेकर स्मिता से बातचीत की। उन्होंने समझाया कि आप इतना मत सोचो। ये सॉन्ग की मांग थी। आपके चाहने वाले आपसे बहुत प्यार करते हैं और इस सॉन्ग को खूब पसंद किया जाएगा। अमिताभ को एक्ट्रेस को समझाने में काफी परेशानी आई। हालांकि स्मिता ने खुद को समझाया और आगे की शूटिंग के लिए तैयार हो गईं। इसके बाद एक्ट्रेस ने अमिताभ के साथ ‘शक्ति’ फिल्म भी की।
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नारी शरीर के दिखावे के थीं खिलाफ
एक अन्य इंटरव्यू में स्मिता ने श्रीदेवी और अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘इंकलाब’ के एक गाने को लेकर अपनी राय रखी। इस गाने को स्विमिंग पूल पर शूट किया गया था। स्मिता का कहना था,’ किसी तरह से सभी का टेस्ट बहुत अश्लील हो गया था। ‘इंकलाब’ में एक स्विमिंग पूल सॉन्ग था। भगवान! आप दर्शकों को क्या परोस रहे हैं। मुझे आश्चर्य होता है कि इस पर महिला दर्शक क्या रिएक्ट करेंगी। महिला शरीर के इस अभद्र चित्रण पर वे शर्मसार सा महसूस करेंगी।’ उन्होेंने उस जमाने की साउथ एक्ट्रेस पर भी बात की थी। उनका मानना था कि साउथ की अभिनेत्रियां पैसा कमाने के लिए कैसे बेमतलब के सॉन्ग करती हैं। जीवन के आखिरी पड़ाव पर उन्हें यह भी अहसास नहीं होता कि उनका कैसे शोषण किया गया।
स्मिता का फिल्मी सफर
17 अक्टूबर, 1955 को जन्मी स्मिता पाटिल ने फिल्मों के जरिए काफी नाम कमाया, लेकिन उनका जीवन काल बहुत छोटा रहा। 13 दिसंबर, 1986 को 31 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। उन्होंने शुरूआती करियर में बतौर न्यूज एंकर काम किया। इसी दौरान उनकी मुलाकात मशहूर निर्माता—निर्देशक श्याम बेनेगल से हुई और उन्होंने ‘चरण दास चोर’ में उन्हें छोटा रोल दिया। इस तरह शुरू हुआ उनका फिल्म सफर कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ता चला गया। उनकी बेहतरीन फिल्मों में ‘आक्रोश’, भूमिका, ‘मिर्च मसाला’ और ‘चक्र’ जैसी फिल्में हैं।