‘महिला की आवाज स्वर्णिम है, लेकिन उसका चेहरा सामान्य है’
राज कपूर की बेटी ऋतु नंदा ने साल 2002 में अपनी किताब में बताया था कि उनके पिता 1978 में आई फिल्म ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ में लता मंगेशकर को कास्ट करना चाहते थे। ऋतु ने अपनी किताब में राज कपूर के हवाले से लिखा,’ मैंने एक ऐसे आदमी की कहानी सोची है, जो एक महिला से प्यार करता है और उस महिला की आवाज स्वर्णिम है, लेकिन उसका चेहरा सामान्य है।’ उनका विश्वास था कि प्यार और विश्वास संबंधों की शुद्धता पर निर्भर करता है, न कि शारीरिक सुंदरता पर। कहा जाता है कि लता ने इस फिल्म में काम करने के लिए हामी भर दी थी, लेकिन बाद में मना कर दिया।
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‘ये आवाज एक ‘बदरसूरत’ (अग्ली) लड़की की है’
इसी घटना का जिक्र पत्रकार वीर संघवी की ऑटोबायोग्राफी में भी है। इसमें संघवी बताते हैं कि राज कपूर ने ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ के बारे में दार्शनिक अंदाज में बात की थी। उन्होंने कहा था,’एक पत्थर लीजिए। ये महज एक पत्थर है। लेकिन जैसे ही इस पर आप धार्मिक निशान बना देंगे ये भगवान बन जाता है। इसी तरह आप उन चीजों को देखते हैं, जो आपके लिए महत्वपूर्ण हैं। आपने एक सुंदर आवाज सुनी। लेकिन बाद में आपको पता चला कि ये आवाज एक ‘बदरसूरत’ (अग्ली) लड़की की है।’ इतना कहने के बाद वह रूक गए। फिर बोले,’अग्ली गर्ल वाली बात हटा दो। लता अपसेट हो जाएगी।’
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लता ने फिल्म में गाने से किया मना
इस पर संघवी लिखते हैं,’मुझे पता है वह किस बारे में बात कर रहे थे। ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ के शुरूआती प्रचार-प्रसार में यह घोषणा की गई थी कि लता मंगेशकर की आवाज और चहेरे में विरोधाभास ने राज कपूर को ये फिल्म बनाने की प्रेरणा दी। वह इस बात से बुरी तरह गुस्सा हो गईं और फिल्म के लिए गाने से मना कर दिया।’ हालांकि बाद में राज कपूर ने किसी तरह से लता को फिल्म में गाने के लिए मना लिया था। इस मूवी में शशि कपूर और जीनत अमान नजर आईं। इसकी रिलीज पर विवाद भी हुआ। खास तौर पर इसके इरोटिक नेचर को अश्लील बताया गया था।