Ustad Zakir Hussain: ‘उस्ताद’ ने इटैलियन कथक नृत्यांगना से की थी शादी, विरासत में मिला संगीत, पिता थे फेमस…
Ustad Zakir Husain Family: उस्ताद जाकिर हुसैन का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ, जहां संगीत विरासत के रूप में मिला था। उनके पिता, उस्ताद अल्लाह रक्खा, भारतीय तबला वादन के महान कलाकार थे
Zakir Husain passed away: दुनिया के प्रख्यात तबला वादक और भारतीय शास्त्रीय संगीत के महानायक उस्ताद जाकिर हुसैन का सोमवार सुबह अमेरिका में दिल और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों के कारण निधन हो गया। 73 वर्षीय जाकिर हुसैन लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे, जिसके चलते उन्होंने अपने कई संगीत कार्यक्रम रद्द कर दिए थे। उनके निधन से संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।
संगीत की विरासत को आगे बढ़ाने वाले पिता से मिली प्रेरणा
उस्ताद जाकिर हुसैन का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ, जहां संगीत विरासत के रूप में मिला था। उनके पिता, उस्ताद अल्लाह रक्खा, भारतीय तबला वादन के महान कलाकार थे, जिन्होंने दुनियाभर में तबले की लोकप्रियता को नई ऊंचाईयों तक पहुंचाया। अल्लाह रक्खा का जन्म जम्मू-कश्मीर में एक सैनिक परिवार में हुआ था। उन्होंने पंजाब स्कूल ऑफ क्लासिकल म्यूजिक में संगीत की शिक्षा ली और अपनी कला को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई।
इटैलियन कथक नृत्यांगना से की थी शादी
उस्ताद जाकिर हुसैन ने 1978 में इटैलियन कथक नृत्यांगना और अपनी मैनेजर एंटोनिया मिनीकोला से शादी की। दंपत्ति की दो बेटियां, अनीसा कुरैशी और इजाबेला कुरैशी हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के सेंट माइकल स्कूल से हुई और उन्होंने स्नातक की पढ़ाई सेंट जेवियर्स कॉलेज से पूरी की।
दो शादियां और विस्तृत परिवार
अल्लाह रक्खा ने दो शादियां की थीं। पहली पत्नी बावी बेगम से उनके तीन बेटे और दो बेटियां हुईं, जिनमें जाकिर हुसैन, फजल कुरैशी और तौफीक कुरैशी शामिल हैं। दूसरी पत्नी जीनत बेगम से उनकी एक बेटी रूही बानो और बेटा साबिर हुआ। रूही बानो 1980 के दशक की मशहूर टीवी अभिनेत्री थीं।
उस्ताद जाकिर हुसैन ने न सिर्फ भारतीय संगीत को समृद्ध किया, बल्कि वैश्विक मंच पर भी तबला वादन की कला का परचम लहराया। उन्होंने भारत और विदेशों में कई फिल्मों और एल्बमों में काम किया। अपनी सफलता का श्रेय वे हमेशा अपने पिता को देते थे, जिन्होंने बचपन से ही उनके कला-रूप पर ध्यान केंद्रित करने में मदद की।
सदाबहार तबला वादन की विरासत
उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन शास्त्रीय संगीत के लिए अपूरणीय क्षति है। उनका जीवन और कला विश्वभर के संगीत प्रेमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है। उनके जाने से भारतीय शास्त्रीय संगीत में एक युग का अंत हो गया।