बचपन में खो दिया था मां-बाप को :
टुनटुन को बॉलीवुड की एक ऐसी अभिनेत्री माना जाता था जो उदास से उदास चेहरे पर मुस्कान ले आती थी। आज भी जब टीवी पर उनकी कोई फिल्म आती है तो हम अपनी हंसी रोक नहीं पाते। लेकिन क्या आप जानते हैं दूसरों को हंसाने वाली ये एक्ट्रेस ने बचपन से कई मुश्किल दौर से गुजरी थीं। टुनटुन ने बचपन में ही अपने मां-बाप को खो दिया था। इसे बाद वह अपने चाचा के पास पलीं थीं।
कॉमेडियन के तौर पर जानी जाने वाली टुनटुन का सपना था कि वह एक मशहूर गायिका बनें। अपने सपने को पूरा करने के लिए वह मुंबई पहुंचीं। मुंबई तक का सफर तय करने में उनकी मदद की उनकी सहेली ने। बता दें कि टुनटुन यानी उमा रेडियो को सुनकर गाने की रियाज करती थीं। मुंबई में उनकी मुलाकात नौशाद से हुई। वह नौशाद के आगे जिद पर अड़ गई कि अगर उन्हें गाने का मौका नहीं मिला तो वह उनके घर की छत से कूद जाएंगी। इसे बाद नौशाद ने उनका गाना सुना। फिर क्या था उन्होंने सदाबहार हिट गाना — अफसाना लिख रही हूं… इस गाने को अपनी आवाज दी।
नौशाद के कहने पर एक्टिंग की :
टुनटुन ने गायकी के साथ एक्टिंग भी की। बता दें कि गायकी में ज्यादा फीमेल सिंगर्स के आने के बाद नौशाद ने उन्हें एक्टिंग करने की सहाल दी। लेकिन टुनटुन दिलीप कुमार के साथ काम करना चाहती थीं। वहीं उनका ये सपना 1950 में फिल्म ‘बाबुल’ से पूरा हुआ। इस फिल्म के साथ ही उनके नाम से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा भी है। बता दें कि फिल्म के एक सीन में उनको दिलीप कुमार पर गिरना था। बस इसी के बाद से ही दिलीप कुमार ने उमा देवी को टुन टुन नाम दिया। साथ ही वह भारत की पहली महिला कॉमेडियन भी बन गईं। उन्होंने अपने फिल्मी कॅरियर में 50 से ज्यादा फिल्में की। वहीं 24 नवंबर 2003 को इस दुनिया को अलविदा कह कर चली गईं।
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