हिंदी सिनेमा में अपने अभिनय से पर्दे पर अमिट छाप छोड़ने वाली खूबसूरत और दिग्गज अदाकारा माला सिन्हा का जन्म 11 नवंबर, 1936 कोलकाता में हुआ था। उनके पिता बंगाली और मां नेपाली थीं। माला सिन्हा साठ और सत्तर के दशक की शानदार अभिनेत्रियों में से एक हैं। उन्होंने बॉलीवुड के कई बड़े कलाकारों के साथ काम किया और खूब नाम कमाया था। माला सिन्हा ने हिन्दी के अलावा बंगला और नेपाली फिल्मों में भी काम किया है। वह अपनी प्रतिभा और खूबसूरती दोनों के लिए जानी जाती रही हैं।
माला सिन्हा ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत बाल कलाकार के तौर पर की थी और बंगाली फिल्म ‘जय वैष्णो देवी’ में नजर आई थीं। माला सिन्हा ऑल इंडिया रेडियो के लिए सिंगिंग भी करती थीं। लेकिन गीता बाली की उन पर नजर पड़ीं और उन्होंने हिंदी सिनेमा की तरफ बढ़ने का मौका दिया। इस तरह उनकी एंट्री बॉलीवुड में हुई और वह एक जाना पहचाना नाम बन गईं।
माला सिन्हा से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा भी है। यह किस्सा उस समय का है जब वह धर्मेंद्र की फिल्म आंखें की शूटिंग के लिए सिंगापुर में थीं। उस समय फिल्मी की पूरी टीम को डिनर छोड़कर शानदार होटल से वापस आने के बाद अपने रूम पर अचार रोटी खानी पड़ी थी। दरअसल आंखे फिल्म की निर्माता शॉ ब्रदर्स थे। वह फिल्म के साउथ ईस्ट एशिया के डिस्ट्रीब्यूटर थे। वह हांगकांग की अमीर शख्सियतों में से थे।
शॉ ब्रदर्स के छोटे भाई ने सिंगापुर में फिल्म आंखे की शूटिंग का इंतजाम किया हुआ था। माला सिन्हा का गाना वहां पर फिल्माया गया था। एक दिन शॉ ब्रदर्स ने फिल्म यूनिट को खाने पर बुलाया। इस दावत के लिए खानसामे को शंघाई से बुलाया था। वहां पर खाने में कच्चा मांस परोसा गया था। जिसको कोई नहीं खा सका। सब वापस भूखे होटल पहुंचे। उस समय निर्देशक रामानंद सागर के कमरे में सब मिले तो किसी ने कहा मेरे पास डबल रोटी है। माला ने कहा कि उनके पास अचार है। अचार के साथ सभी ने ब्रेड खाई।
क्या आप जानते हैं माला सिन्हा का असली नाम आल्दा सिन्हा है। अभिनेत्री ने एक बार इंटरव्यू में बताया था कि जब वह स्कूल जाती थीं तो उनके दोस्त उन्हें डालडा कहकर पुकारते थे। वहीं माला के माता-पिता उन्हें बेबी कहते थे इसलिए कई दोस्त उन्हें डालडा सिन्हा तो कई बेबी सिन्हा कहने लगे। फिल्मों में काम करने से पहले वह रेडियो के लिए गाती थीं। माला खूबसूरत तो थी हीं इसलिए किसी ने उन्हें फिल्मों में काम करने की सलाह दी। फिल्मों में काम करने का सपना लेकर वह मुंबई तो पहुंच गईं लेकिन यहां उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा।