सैफ अली खान को ढूंढने में लगी कई टीमे (Saif Ali Khan Attacker and Police Investigation)
सैफ अली खान के आरोपी को पकड़ने के लिए पुलिस ने दिन-रात एक कर दिए। इंडियन एक्सप्रेस को जांच से जुड़े सूत्रों ने बताया, “जब आरोपी की लोकेशन का पता चला था तो उसे ढूंढने के लिए 100 पुलिसकर्मी तलाश में जुट गए। सुराग न मिलने पर वह उस जगह से निकलने लगे, लेकिन फिर उन्होंने दोबारा उस एरिया की जांच करने का फैसला किया। जब उन्होंने दोबारा तलाश की तब उन्हें जमीन पर कोई सोया हुआ दिखाई दिया। जैसे ही एक अधिकारी उस शख्स के करीब पहुंचा, वह उठकर भागने लगा। पुलिस ने उसे वहीं पकड़ लिया।” CCTV में मिला था आरोपी का बड़ा सुराग (Saif Ali Khan stabbing news)
सूत्रों ने आगे बताया, पुलिस ने बांद्रा रेलवे स्टेशन के CCTV फुटेज में जब आरोपी को ट्रैक किया था। इसके बाद से ही उसे आस पास के एरिया में तलाश करने लगे। तलाशी के वक्त पुलिस को पता चला कि आरोपी ने दादर स्टेशन के बाहर पैसे देकर मोबाइल कवर खरीदा और फिर कबूतरखाना से होते हुए वर्ली चला गया है। पुलिस ने वर्ली इलाके की सीसीटीवी फुटेज खंगाले और इस दौरान वह सीसीटीवी फुटेज में सेंचुरी मिल के पास एक स्टॉल पर दिखाई दिया।
फोन पर कर रहा था किसी खास इंसान से बात (Saif Ali Khan attack case)
फुटेज में वह स्टॉल चलाने वाले व्यक्ति से दो बार बात करता हुआ दिखाई दिया था। क्राइम ब्रांच की टीम वहां पहुंची और टी स्टॉल चलाने वाला व्यक्ति से जांच पड़ताल शुरू कर दी। जांच में पता चला कि टी स्टॉल चलाने वाला व्यक्ति नवीन एक्का कोलीवाड़ा के पास रहता है। पुलिस को शक हुआ कि आरोपी, एक्का का दोस्त है। ऐसे में पुलिस की 4 टीमों ने शनिवार को वर्ली-कोलीवाड़ा इलाके की तलाशी ली और दुकानदारों को आरोपी की तस्वीर दिखाई।” पुलिस ने दिखाई थी आरोपी की तस्वीरे (Saif Ali khan Attacker Video and Photo)
जांच के दौरान पता चला कि एक्का, जनता कॉलोनी में जयहिंद मित्र मंडल में रहता है। लेकिन जब पुलिस मौके पर पहुंची तब घर पर ताला लगा हुआ था। इसके बाद पुलिस ने मकान मालिक राजनारायण प्रजापति से संपर्क किया। सूत्रों ने कहा, “पुलिस को प्रजापति के बेटे विनोद के जरिए एक्का का मोबाइल नंबर मिला। पुलिस ने विनोद को संदिग्ध की तस्वीर दिखाई। विनोद ने पुलिस को बताया कि संदिग्ध ने पराठे और पानी की बोतल के लिए UPI से भुगतान किया था।”
UPI से ऐसे पुलिस ने ढूंढ निकाला हमलावर को
विनोद ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए बयान में कहा, “पुलिस को हमारे जरिए आरोपी का मोबाइल नंबर मिला, क्योंकि उसने पैसे G Pay के जरिए दिए थे।” मोबाइल नंबर एक अहम मोड़ साबित हुआ, क्योंकि यह पुलिस को ठाणे के कासरवडावली में लेबर कैंप और अमित पांडे नाम के एक ठेकेदार तक ले गया, जिसने कुछ महीने पहले आरोपी को काम पर रखा था। लगभग 20 टीमें मौके पर पहुंचीं और संदिग्ध की तलाश शुरू की। लेकिन वह मौके से भाग गया था और उसने अपना मोबाइल फोन भी बंद कर लिया था। आरोपी की तलाश करते-करते पुलिस शिविर के पास के मैंग्रोव तक चली गई और तभी डीसीपी नवनाथ धवले के नेतृत्व वाली टीम के एक सदस्य को टॉर्च की रोशनी में आरोपी नजर आया।”