बताया जाता है कि इस गाने के लिये बादशाह पर ना केवल चोरी का आरोप लगा था बल्कि बादशाह ने इस गाने को लिखने वाले बांग्ला राइटर को इसका कोई क्रेडिट भी नही दिया था।
अब खबरे ये आ रही हैं कि बादशाह ने इस असली राइटर को पांच लाख रुपये दिए हैं। बादशाह ने उनकी बदहाली को देखते हुए कहा था कि वो उनके नाम को वापस देने के लिए जरूर कुछ करेंगे।
रतन ने कब लिखा था ये गाना? रतन कहार ने ये बांग्ला लोकगीत 1972 में लिखा था। उस दौरान यह सिंगर कलकत्ता आकाशवाणी में अपनी अवाज से पहचाने जाते थे। फिर उनके गाने को बाद में स्वपना चक्रवर्ती ने गाया जो हर किसी की जुंबा पर चढ़ गया। लेकिन आवाज को नाम मिला, लिखने वाला बेनाम हो गया। गीत में सिर्फ बांग्ला लोकगीत लिखकर हर किसी ने अपना काम पूरा किया। बादशाह ने अपना सफाई में ये कहा था कि उन्हें किसी भी लेखक का नाम नहीं मिला था जिसके कारण वे क्रेडिट नहीं दे पाए। लेकिन उन्होंने मदद का वादा किया था।