उसी समय की बात है, जब बॉम्बे टॉकीज फिल्म ‘ज्वार भाटा’ दिलीप कुमार के साथ बना रहा था। दिलीप कुमार राजकुमार के अच्छे दोस्त थे। और राजकुमार उसी फिल्म के सेट पर मजदूरों का काम कर रहे थे। उन्हें तब से ऐसी फीलिंगस आने लगी की उनका दोस्त फिल्म में हीरो बन रहा है और वो उसी के फिल्म सेट पर मजदूरी कर रहे हैं। और एक नॉन फिल्मी घर का लड़का हीरो बना हुआ है। ऐसा सोच कर वो काफी परेशान हो गए और उन्हें गुस्सा भी आया और बुरा भी लग रहा था कि इतने बड़े स्टार का बेटा होकर मैं मजदूरी कर रहा हूं।
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उन्हें एक दिन अपनी ऐसी हालत पर इतना गुस्सा आया कि उन्होंने हथौडे़ से फिल्म के सेट को तोड़ दिया। मगर इतनी बड़ी घटना के बाद भी उन्हें किसी ने कुछ नहीं कहा। फिर उनको एहसास हुआ कि अगर ऐसी हरकत किसी और ने की होती तो उसे माफ नहीं किया जाता। इसके बाद उन्होंने ऐसी हरकत दोबारा नहीं की। उन्हें भी ये एहसास हो गया कि वो यहां सीखने आए है दूसरों से खुद की बराबरी करने नहीं।
फिर उन्होंने बहुत ही लगन से काम किया और सफलता की ऊंचाइयों को छुआ। उन्होंने ‘मेरा नाम जोकर’, ‘सपनों का सौदागर’, ‘तीसरी कसम’, ‘पापी’, ‘आवारा’, ‘प्यार’, ‘अमर प्रेम’, ‘दिल की रानी’, ‘आग’ और ‘नीलकमल’ जैसी फिल्मों में काम किया।
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