इस सावल का जवाब देते हुए एक्टर ने कहा कि ‘अगर हमें पता होता कि लाल सिंह चड्ढा क्यों सफल नहीं हो पाई, तो हम सभी हिट फिल्में बना रहे होते। कोई नहीं सोचता कि हम गलत फिल्म बना रहे हैं। इस फिल्म को बनाने के पीछे की मंशा, कड़ी मेहनत उतनी ही है, जितनी हर फिल्म में की जाती है। सभी बड़ी फिल्में जो रिलीज हुई हैं उनके पीछे का इरादा एक अच्छी फिल्म बनाने और फिल्म को हिट करने का ही था’।
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इसके अलावा आर. माधवन ने ये भी कहा कि ‘ये धारणा गलत है कि साउथ की फिल्में हिंदी फिल्मों से बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं, क्योंकि साउथ इंडस्ट्री की कुछ ही फिल्मों ने ही बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाया है’। साथ ही एक्टर ने कहा कि ‘इसे एक पैटर्न नहीं कहा जा सकता है। जहां तक साउथ की फिल्मों की बात है, बाहुबली 1, बाहुबली 2, आरआरआर, पुष्पा, केजीएफ: पार्ट 1 और केजीएफ: पार्ट 2 एकमात्र साउथ इंडियन फिल्में हैं जिन्होंने हिंदी फिल्म एक्टर्स की फिल्मों से बेहतर प्रदर्शन किया है। ये केवल छह फिल्में हैं, तो हम इसे पैटर्न नहीं कह सकते। अगर अच्छी फिल्में आती हैं तो वो चलेंगी ही’।
आर. माधवन के इंटरव्यू में आगे कहा कि ‘अगर दर्शकों को अच्छा कंटेंट दिया जाएगा तो वो थिएटर में जाकर फिल्म देखेंगे, चाहे भाषा कोई भी हो’। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि ‘महामारी के बाद दर्शकों की प्राधमिकता बदल गई है। यही कारण है कि हिंदी फिल्मों की विफल हो रही हैं। कोविड-19 के बाद लोगों की प्राथमिकता बदल गई हैं। इसलिए हमें उस तरह की फिल्में बनानी चाहिए जो लोग देखना पसंद कर रहे हैं। हमें और अडवांस फिल्में बनानी होंगी’।