इस कहानी में का हीरो मथुरा शहर से सटे कस्बे में रहने वाला भले ही मट्टो है, लेकिन मट्टो की हीरो उसकी साइकिल है। मट्टो रोजाना अपनी साइकिल पर सवार होकर कोसों दूर दिहाड़ी मजदूरी करने जाता है। जैसे-तैसे उसकी रोजाना की कमाई होती है, जिससे उसके घर का पालन-पोषण होता है। मट्टो के परिवार में उनकी पत्नी और दो बेटियां हैं।
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फिल्म की कहानी
एक दिन काम से वापस लौट रहे मट्टो को सब्जी खरीदने के लिए सड़क के एक पार साइकिल उतारता है, तो दूर से आता ट्रैक्टर उसकी साइकिल को टक्कर मार देता है और उसको रौंदते कर आगे निकल जाता है। अपने हीरो को मरता देख मट्टो का दिल टूट जाता है। फिर यहां से शुरू होती है मट्टो की दूसरे साइकिल को खरीदने की जद्दोजहद।
क्या मट्टो दूसरी साइकिल खरीद पाता है? इस तरह इस फिल्म की कहानी आगे बढ़ती है, जो किसी के भी दिल और दिमाग को झंझोर कर रख देती है। वैसे इस फिल्म के बारे में एक खास बात ये है कि इसका साल 2020 में बुसान फिल्म फेस्टिवल पर प्रीमियर किया जा चुका है।
खास है फिल्म का क्लाइमैक्स
फिल्म की कहानी के साथ-साथ इसका क्लाइमैक्स भी बेहद स्पेस्ल है और वो इसलिए, क्योंकि इसके एंड को ओपन रखा गया है। इस का एंड ‘सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा’ गाने का म्यूजिक और झंडे पर फोकस करते होता है, जो आपके रोंगटे खड़े कर देता है। इतना ही नहीं फिल्म में कई ऐसे सीन्स भी हैं, जिनको देखने के बाद आपकी आंखे भी छलक उठेंगी। जैसे प्रधान का इलेक्शन जीतने पर मट्टो का प्रधान को गोदी पर उठाकर नाचना।
अपनी पत्नी के बारे में फल लेते वक्त दुकानदार से बात करना। उसकी पत्नी पथरी के इलाज की वजह से अस्पताल में एडमिट है। बेटी की शादी का रिश्ता लेकर जाने पर लड़के वालों से दहेज के रूप में बाइक की डिमांड करना। साइकिल चलाते वक्त कार से टक्कर होना और कार वाले का रौब दिखाना। दूसरी साइकिल के पाई-पाई पैसे का जुगाड़ करना। ये फिल्म आपको कहीं हंसाएगी तो कही रुलाएगी भी।
खूबसूरती से फिल्माया गाया
एम गनी की इस फिल्म फिल्म को बेहद ही खूबसूरती के साथ फिल्माया गया है। फिल्म को पर्दे पर देखने के कुछ ही देर बाद आप मट्टो की दुनिया में एंट्री कर लेते हैं। ये ही इस फिल्म की कहानी की सबसे बड़ी खासियत है। फिल्म में गांव कस्बे को बेहद ही बारीकी और खूबसूरती के साथ दिखाया गया है। गांव की तंग गलियां, मट्टो का आधा कच्चा मकान, सरकारी अस्पताल सारी चीजों को काफी अच्छे से फ्रेम दर फ्रेम परफेक्ट तरीके से फिल्माया गया है।
फिल्म की कास्टिंग
फिल्म को अगर कोई और चीज और ज्यादा खूबसूरत और जीवंत करती है तो वो है इसकी कास्टिंग। फिल्म में नजर आने वाले हर किरदार एक से बढ़कर एक है, जिन्होंने अपने करिदारों को बेहद ही सहजता से निभाया है। सभी को देखकर ऐसा लगता है जैसा इस फिल्म असली गांव के लोगों पर ही फिल्माया जा रहा है। प्रकाश झा ने अपने दमदार अभिनय से मट्टो को ऐसा जीवन दिया है जो जिंदगी भर लोगों के बीच जिंदा रहेगा। आखिरी के सीन्स पर उनकी बेबसी और लाचारी देखकर उसका गम किसी भी इंसान को अपना सा लगने लगेगा।