एक इंटरव्यू में भाषा ने बताया कि उन्हें ‘समाजसेवा करना बहुत अच्छा लगता है। कुछ समय पहले वो भारत में ही थी। लेकिन इस महामारी के कारण उन्होंने महसूस किया कि अब उन्हें वापस जाकर अपनी ड्यूटी करनी चाहिए और लोगों की मदद करनी चाहिए।’ उन्होंने बताया कि ‘वो घर वापस आना चाहती थी और फिर अपने काम पर। लेकिन उन्हें उनके एक पुराने दोस्त का मैसेज मिला जो कि खुद एक डॉक्टर हैं। उन्होंने अस्पालत में बिगड़ते हालतों के बारें में बताया। जिसके बाद भाषा ने अस्पताल में फोन कर फिर से काम पर लौटने की आज्ञा मांगी।
बता दें भाषा का कहना है कि ‘जब उन्होंने डॉक्टर की डिग्री ली ही है तो शायद इस वक्त इसे इस्तेमाल करने का कोई और अच्छा समय नहीं हो सकता है। उन्हें खुद पर विश्वास हैं कि वो लोगों की मदद कर सकती हैं और मिस इग्लैंड के ताज को सही साबित करने का और इस वक्त उनके देश को उनकी जरूरत हैं।’ बता दें भाषा बॉस्टन के पिलग्रिम हॉस्पिटल में जूनियर डॉक्टर थीं। वो एक श्वसन रोगों की विशेषज्ञ हैं। इग्लैंड में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। भाषा मुखर्जी जब 9 साल की थी तब वो कोलकत्ता छोड़ अपने परिवार संग ब्रिटने आ गई थी। अगस्त में 2019 में उनके सिर मिस इग्लैंड का ताज साज़ा।