छोटे-मोटे काम करने वाले हर्षद ने बनाया अपना ‘साम्राज्य’
हर्षद की कहानी शुरू होती है 1980 से, जब उसने सबसे पहले एक नीचले दर्जे के क्लर्क के रूप में एक ब्रोकरेज फर्म में काम करना शुरू किया। इस फर्म में उसका काम ज्यादा जिम्मेदारी वाला नहीं था,लेकिन 1990 तक वह बडे ओहदों तक पहुंचा। उस जमाने में उसे ‘शेयर बाजार का अमिताभ बच्चन’ ( The Amitabh Bachchan of the Stock market ) कहा जाने लगा। कुछ लोग उसे सेलेब्रिटी ब्रोकर के नाम से भी पुकारने लगे थे।
लग्जरी लाइफस्टाइल
हर्षद ने जितनी जल्दी तरक्की की, उससे सभी हैरान थे। अपनी लाइफस्टाइल के लिए जाने जाने वाले हर्षद के पास महंगी कारों सहित मुंबई के वर्ली में 15000 स्क्वायर फीट का सी फेसिंग पेंटहाउस था। इसमें एक मिनी गोल्फ कोर्स और स्विमिंग पूल था।
ऐसे किया शेयर घोटाला
हर्षद मेहता ने बैंकिंग सिस्टम का इस्तेमाल कर हजारों करोड़ रुपए का घोटाला कर दिया। मेहता ने एसबीआई से फर्जी चैक्स के माध्यम से सिक्योरिटी हासिल की, जिसे वह देने में नाकाम रहा। अपनी कलाबाजी से उसने स्टॉक की कीमतें कई गुना बढ़ा दीं और जिन कंपनियों का वह मालिक था, उनके स्टॉक बेच दिए। इसके चलते लाखों लोगों को भारी नुकसान हुआ। शेयर मार्केट भी धड़ाम से गिरा। 1992 में हुए इस घोटले में कई और तरह के स्कैम सामने आए। इनमें एक्विटी मार्केट स्कैम, बैंक रिस्प्टि स्कैम जैसे धोखाधड़ी के मामले सामने आए।
ऐसे खुली पोल
एक न्यूजपेपर के लेख में पत्रकार सुचेता दलाल ने 23 अप्रेल, 1992 को मेहता के फर्जी तरीकों का भंडाफोड़ किया। इससे शेयर मार्केट औंधे मुंह गिरा। मेहता और उससे मिलकर फर्जीवाड़ा करने वाले बैंक कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया। पूरे भारतीय वित्तीय व्यवस्था में ऐसे बदलाव किए गए जिससे ऐसे घोटाले दोबारा न हो। मेहता की कस्टडी के दौरान ही 2001 में हार्ट अटैक से मौत हो गई। हालांकि मेहता की मौत के बाद भी 27 मामले अभी भी लंबित हैं।