टीचर से बने थे इंडियन फुटबॉल टीम के कोच
सैय्यद अब्दुल रहीम (Syed Abdul Rahim) वैसे तो टीचर थे लेकिन इसके साथ ही वो मोटिवेशनल स्पीकर भी थे। हैदराबाद सिटी पुलिस ने साल 1943 में उनके इस टैलेंट को देखने के बाद उन्हें फुटबॉल टीम (Football Coach) का कोच बना दिया। इसके बाद हैदराबाद टीम ने लगातार अच्छा प्रदर्शन करते हुए पांच रोवर्स कप जीते। साथ ही हैदराबाद टीम ने डुरंड कप फाइनल में तीन बार जीत भी हासिल की। टीम ने लगातार बढ़िया प्रदर्शन किया जिसके बाद सैय्यद अब्दुल रहीम को ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन इंडियन फुटबॉल टीम (Indian Football Team) कोच और मैनेजर बना दिया।
कैंसर की जंग लड़ते हुए रचा इतिहास
इंडियन फुटबॉल टीम ने सैय्यद अब्दुल रहीम (Syed Abdul Rahim) के सहयोग से जीत हासिल की थी। साल 1962 में रहीम को पता चला कि उन्हें लंग कैंसर है लेकिन इसके बावजूद उन्होंने एशियन गेम्स के लिए तैयारी शुरू कर दी। उस दौरान उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही थी लेकिन उनका जज्बा कम नहीं हो रहा था। फिर भारतीय टीम की भी थोड़ी हिम्मत बढ़ी। दरअसल, इंडिया के सामने एशिया की दमदार टीम साउथ कोरिया थी और दूसरी तरफ यहां अपने डिफेंडर्स को चोट लग चुकी थी, साथ ही गोलकीपर को फ्लू हो चुका था। सभी की हिम्मत टूट चुकी थी। सैय्यद अब्दुल रहीम ही वो शख्स थे जिन्होंने अपनी टीम की हिम्मत को बनाए रखा और सबसे एक जीत का गिफ्ट मांगा। उस दौरान ये किसी इतिहास से कम नहीं था कि जब जीत कोसो दूर लग रही थी तब भारत ने सैय्यद के नेतृत्व में जीत हासिल कर गोल्ड जीता था। इसके बाद सैय्यद अब्दुल रहीम ने एक साल बाद यानी की 1963 को उनका निधन हो गया।