1. जिगर सख्त हो जाता है
2. पेट में सूजन, पेट मे दर्द,
3. भूख कम लगना, थकान
4. पीलिया, उल्टी दस्त और पाचन क्रिया से जुड़ी कई समस्याएं।
यूनानी में फेटी लिवर का इलाज दो प्रकार से
1. खानपान से इलाज
2. दवा से इलाज
वो भोज्य पदार्थ जो मर्ज को बढ़ातेे हैं। जैसे तेज मिर्च मसाले, तली हुई चीजें, फास्ट फूड, शराब का सेवन, बासी खाना, अंडे और मांस आदि खाने से परहेज कराया जाता है। वो खाद्य पदार्थ जो जल्दी पच जाते हैं जैसे-दूध, दलिया, खिचड़ी, चावल का पानी, दाल का पानी, नारियल पानी, आदि का सेवन कराया जाता है। यूनानी पद्धति मे दवाओं का इस्तेमाल कर लिवर से जुड़ी सभी तरह की बीमारियों का इलाज किया जा सकता है।
मुरव्वखेन
मकोय के पौधे और कासनी के पौधे के फलों को मिलाकर एक अर्क बनाया जाता है। इसी अर्क को मुरव्वखेन कहते हैं। मकोय का पौधा खेतों, जंगलों और घरों के आस पास आसानी से उपलब्ध हो जाता है।
इसके फलों को कासनी के पौधे के फलों के साथ एक बर्तन मे मिलाकर उबालते हैं और उसका अर्क प्राप्त करते हैं। इस अर्क को सुबह-शाम इस्तेमाल करने से लिवर की सख्ती और सूजन दूर होती है। यह अर्क गैर जरूरी फैट को घुला देता है।
रेवन्दचिनी
ये एक पौधा है जिसकी जड़ को सुखाकर इसका पाउडर बना कर प्रयोग करते हैं। ये पेट दर्द और पेट की सूजन को दूर करता है।
अफस्नतीन
इस पौधे का काड़ा बनाकर लेने से लिवर से जुड़ी सभी प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती हैं। (नोट: दवा यूनानी विशेषज्ञ की सलाह से ही लेना चाहिए।)
माजून दबिदुल वर्द
ये माजून यानी काढ़ा यूनानी दवाओं से मिलकर बनता है। इसमें गुलाब की पत्तियां खास होती हैं। इनका मिजाज ठण्डा होता है इसलिए ये माजून लिवर की गर्मी, सख्ती और सूजन को दूर करने में लाभकारी होता है।