योग-प्राणायाम से सेहत रहेगी ‘सवाया’
कोरोना महामारी के बीच योग और प्राणायाम की चर्चा देश ही नहीं विदेशों में भी खूब रही। शरीर के चुस्त और मजबूत रखने के लिए इस वर्ष गूगल पर योग को लेकर काफी सर्च किए गए। इस वर्ष योग गूगल के टॉप ट्रेंड्स में रहा। फिर यूट्यूब पर भी इसे काफी लोगों ने देखा और अभ्यास किया। अधिकांश ने पूछा, घर पर योग कैसे करूं? इसके अलावा फेफड़ों की मजबूती के लिए प्राणायाम के प्रति लोगों में दिलचस्पी नजर आई।
शाकाहार यानी सेहत की थाली –
महामारी के दौरान लोगों के खान-पान में काफी बदलाव आया है। शोध में प्रतिरोधक प्रणाली के लिए बेहतर विकल्प होने के कारण दुनिया की बड़ी आबादी अब मांसाहार से शाकाहार की ओर बढ़ी है। बल्कि एक कदम आगे शुद्ध शाकाहार यानी ‘वीगन फूड’ और ऑर्गेनिक फूड लोगों की पसंद बन गए। इनमें एंटी ऑक्सीडेंट, विटामिन्स और मिनरल्स होने के कारण अब डायटीशियन भी अपने मैन्यू को अपडेट कर रहे हैं। वीगन डाइट से मोटापा और डायबिटीज पर नियंत्रण और हृदय रोग की आशंका कम होती है।
देसी सुपरफूड भारत में गिलोय तो यूरोप में एवोकाडो –
कोरोनाकाल में लोगों को समझ आया कि इम्युनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता ही वायरस से लडऩे में सक्षम है। भारत में गिलोय काढ़ा, अन्य देसी और आयुर्वेदिक नुस्खे जीवन का हिस्सा बन गए। दुनिया भर में भी ऐसे ही सुपरफूड बढ़ रहे हैं।
ऑर्गेनिक फूड बाजार होगा 2000 करोड़ का –
ऐ एसोचैम के अनुसार 2020 में ऑर्गेनिक फूड बाजार सालाना 2000 करोड़ रुपए का होने का अनुमान है। 2019 में 1200 करोड़ रुपए का था। भारत ने 5151 करोड़ रुपए का ऑर्गेनिक फूड निर्यात किया है। (एपीईडीए के अनुसार)
मेडिकल टूरिज्म सैर वहीं जो सेहतमंद हो –
अब लोग उन जगहों पर जाना पसंद करेंगे जहां हवा-पानी शुद्ध है और वहां देसी-प्राकृतिक चिकित्सा से इलाज भी होता है। भारत मेडिकल टूरिज्म के लिए पसंदीदा स्थान है, जैसे केरल।
मिक्सोपैथी इलाज की नई राह-
नई जरूरतों को ध्यान में रखते हुए हाल ही सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन ने ईएनटी से जुड़ी 19 तरह की सर्जरी की अनुमति दी है। इसमें 39 सामान्य सर्जरी पहले शामिल थीं। इसे मिक्सोपैथी कहा गया है। सीसीआइएम का कहना है कि आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी को मिलाकर बनी इस पैथी भविष्य में वैकल्पिक चिकित्सा जरूरतों को पूरा करेगी। इसके अलावा आयुष मंत्रालय ने दिनचर्या से ऋतुचर्या को भी वैकल्पिक चिकित्सा में शामिल किया है। हालांकि एलोपैथी विशेषज्ञ इसके विरोध में हैं।