कई शोध टूथपेस्ट को कैंसर का कारक बता रहे हैं। ऐसे में नीम की दातुन का इस्तेमाल कर सकते हैं। दांतों के लिए नीम की दातुन काफी फायदेमंद रहती है। अगर नियमित तौर पर दातुन न मिले तो भी खाली ब्रश करके या सप्ताह में केवल दो बार पेस्ट लगाकर भी हम खतरे को कम कर सकते हैं।
आज के जमाने में कई लोग खुशबू के फेर में तरह-तरह के साबुन इस्तेमाल करते हैं। इन साबुनों में कई तरह के कैमिकल होते हैं जो कई बीमारियों का कारण बन सकते हैं। आप साबुन के बजाय मुल्तानी मिट्टी को नहाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर नहाते वक्त सफाई का पूरा खयाल रखा जाए तो वैसे भी साबुन की जरूरत नहीं रहती।
आज ज्यादातर घरों में पानी साफ करने के लिए आरओ मशीन लगी हुई है। लेकिन कई बार ज्यादा मशीनी पानी भी नुकसान दे सकता है। आरओ की जगह पर पानी को अच्छी तरह से उबालकर तांबे के बर्तन में रखकर इस्तेमाल किया जा सकता है। जैन धर्म में धोवन पानी की परंपरा है। पानी में राख मिलाकर धोवन पानी तैयार किया जाता है।
नीम की पत्तियां कीटाणुओं का नाश कर सकती हैं। इन्हें पानी में उबालकर इस्तेमाल में लिया जा सकता है। यह एंटीसेप्टिक लिक्विड का विकल्प हो सकती हैं। सूती कपड़े का उपयोग
आजकल फॉइल पेपर में रोटियां लपेटकर रखी जाती हैं। इसके स्थान पर सूती कपड़े में भी रोटियां रखी जा सकती हैं। रेफ्रिजरेटर के इस्तेमाल को भी सीमित करने की जरूरत है।